रविवार, 5 जुलाई 2009

एक अजब मुग़ल बादशाह की गजब कहानी !!

नमस्कार मित्रो,
अपने रोचक इतिहास श्रृंख्ला के तहत मैं फ़िर हाजिर हूँ, आज मैं आपको एक मुग़ल बादशाह की रोचक दास्तान बताना चाहता हूँ। हाँ बही मुग़ल बादशाह जिसमे सबसे पहले बाबर जो अपने दोनों हाथो पर दो सैनिको को लटका के किले की बुर्ज पर दौड़ लगा सकता था । उसका बेटा हुमायूँ जो दर-दर की ठोकरे खता रहा और आख़िर में पुस्कालय की सीढियो से ठोकर खा के गिर के मर गया। मगर हुमायूँ का बेटा अकबर हिंदुस्तान का ही नही सारी दुनिया का महानतम शासको में से एक था। अरे भाई हाँ वही अकबर जिसके दरवार में बीरबल, तानसेन जैसे नवरत्न थे। बिल्कुल सही पहचाना आपने जोधा-अकबर वाला । उसका बेटा जहागीर जिसकी बेगम नूरजहाँ थी , क्या कहा आपने ? अरे भाई अनारकली का इतिहास में कोई जिक्र नही है , वो तो मुग़ल-ऐ-आज़म वाले के० आसिफ की कल्पना थी । जिसके नाम से लाहौर में कब्र और बाज़ार भी है। सलीम का बेटा शाहजहाँ हुआ । जी हाँ अबकी बार आप सही है मुमताज और ताजमहल वाला ही । फ़िर औरंगजेब ने अपने बाप को कैद कर गद्दी हथिया ली।
ओफ्फो ! ये कहाँ एक अजब मुग़ल की कहानी सुनानी थी , मगर मैं तो पुरे खंडन को लेके बैठ गया । माफ़ करना जनाब भूल इन्शानो से ही होती है । हाँ तो अपनी बात शुरू होती है सन १७२१ और १७४८ ई० के बीच क्योंकि यही इन मुग़ल बादशाह का शासन काल था । इनका नाम था मुहम्मद शाह लेकिन इनके रंगीन मिजाज के चलते इतिहासकार इन्हे मुहम्मद शाह रंगीला के नाम से जानते है । तो बादशाह का अधिकांस वक्त अपने हरम में बीतता था । इनका हरम भी मीलो में फैला हुआ था , जब बादशाह हुजुर अपने हरम में तशरीफ़ लेट तो महीनो बाद ही निकलते थे । इनके हरम में पुरुषों को जाने की मनाही थी । हाँ महिलाये और हिजडो को जाने में कोई रोक टोक नही थी । बादशाह हुजुर इतने आशिक मिजाज थे की दिल्ली शहर में अगर को महिला इन्हे पसंद आ जाए तो उसे उठवा के अपने हरम में ले आते थे । इनसे ट्रस्ट हो कर दिल्ली की जनता ने महिलाओ ऐ घर से जाने पर रोक लगा दी , अगर महिलाये बहार जाती भी थी ,तो हिंदू महिलाये लंबा घूंघट और मुस्लिम महिलाये बुरका पहनती थी । दिल्ली के सरे घरो की दीवारे ऊँची कर दी गयी थी ताकि बादशाह या उनके लोग घरो में तक झांक न कर सके । बादशाह को महिलाओ और हिजडो का साथ अधिक पसंद था ।
बादशाह का मन राज काज में बिल्कुल नही लगता था , देश तो अल्लाह के भरोसे था । बचा खुचा काम बादशाह के वजीर और सिपहसालार कर देते थे। मुहम्मद शाह रंगीला के समय ही भारत पर इरान के आक्रमणकारी नादिरशाह का हमला १७३९ में हुआ । नादिरशाह ने दिल्ली को खूब लूटा और बेशकीमती हीरा कोहिनूर लूट के ले गया । बादशाह रोते रह गए । नादिरशाह के सेनापति अहमदशाह अब्दाली ने भी भारत पर कई हमले किए जो १७६१ तक चलते रहे । मुग़ल बादशाह बस हाथ पर हाथ धरे देखते रहे ..................और इस तरह भारत गुलामी की राह पर चल पड़ा।
अब इन मुग़ल बादशाहों पर शर्म या गर्व करना आपके ऊपर छोड़ता हूँ । अगली बार फ़िर कोई इतिहास के पन्नो से नै रोचक कहानी लूँगा तब तक के लिए आपकी प्रतिक्रियाओ के इंतजार में आपका ही
मुकेश पाण्डेय "चंदन "

5 टिप्‍पणियां:

  1. Videshi aakramankari aakraantaaon ko bhi aap swadeshi hi samjhte hain! Jinhone khullam kulla hinduon ke katl ki izajat de rakhi thi! Islam kaboolo ta phir maut? Aise logon ke prati aapki aisi bhavana hai to mujhe aap ke alp gyan par taras aata hai!!!

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  2. हरम, जनानखाना या रनिवास की सुरक्षा के लिए किन्नर, खोजे या वृहन्नला रखने की परम्परा प्राचीन काल से है। क्योंकि इनका बल पुरुषों जैसा और ख्याल स्त्रैण होते थे तथा हरम के मालिकों के लिए भी खतरा नहीं होते थे। वरना क्या पता बादशाह की गद्दी पर बैठने वाला किसकी औलाद है। इतिहास में ऐसे भी उदाहरण आते हैं। :)

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ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

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