रविवार, 16 अगस्त 2009

देशभक्ति से बस इतना नाता है, दीवालों पे लिख देते है दिवाली में पुत जाता है

नमस्कार
तो कल आप सभी ने जम कर स्वतंत्रता दिवस की खुशियाँ मनाई, है न ! मगर आज मैंने जब सड़के और गलियां देखि तो दिल रो उठा । जी हाँ जिस तिरंगे झंडे की शान में कल अखबारों, टी० वी० और रेडियो में कई नगमे , तराने गए जा रहे थे । आज हालत-ऐ-बयाँ कुछ और थी । जी हाँ सडको , नालियो और जाने कहाँ -कहाँ हमारे देश की आन बान और शान तिरंगा पड़ा हुआ था । जी हाँ , कल अभिवावकों ने अपने बच्चो को तिरंगे तो खरीद के ले दिया , मगर उसकी इज्ज़त करना उन्हें नही बताया । उन्हें ये नही बताया की इस तिरंगे की खातिर हमारे देश के लोगो ने कितनी कुर्बानिया दी है। ये हमारे देश का प्रतीक है । हमें इस पर नाज़ होना चाहिए ।
हर साल हम जोर शोर से १५ अगस्त और २६ जनवरी मानते है ,मगर दूसरे दिन नालियो सडको पर हजारो कागज और पोलीथिन के तिरंगे फटे हुए बेकार हालत में मिल जाते है । क्या हम अपने देश की इस आन की रक्षा नही कर सकते है ?
मेरा आप सभी से अनुरोध है की तिरंगे को इस हाल से बचने के लिए आप और हम मिलकर कुछ कदम उठा सकते सकते है । :-
* बच्चो को तिरंगे की अहमियत के बारे में बताये ।
* बच्चो को तिरंगे और स्वंतंत्रता की कहानिया सुनाये ।
* हो सके तो कागज या पोलीथिन की जगह कपड़े का तिरंगा ख़रीदे , जो न केवल ज्यादा दिन चलेगा बल्कि उसका अपमान भी होने की कम सम्भावना है ।
* आप इस बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगो को बताये , की भारतीय राष्ट्र ध्वज के अपमान से सम्बन्धी ध्वज संहिता बनी है । उल्लंघन प्र सजा हो सकती है

3 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल सही कहा,देश की शान का ऐसा अपमान नही होना चाहिये,मैने इस तिरन्गे के तीन रन्ग की अहमियत के बारे मै लिखा था,vinay-mereblog.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. चन्दन जी आपकी सच्चाई को उकेरती शानदार रचना ।

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)

एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...