मजहब सिखाता है , आपस में सब भाई भाई
तो भइया क्यो होती है , मजहब के नाम पे लडाई
क्या मजहब के बन्दों को मजहब का पाठ समझ न आया
क्यों मजहब के नाम पर, इन बन्दों ने खुनी रंग चढाया
इनको मजहब का पाठ पढ़ा दे कोई ज्ञानी
समझा दे इनको खून खून है , नही है पानी
अमन का संदेसा देकर इनको, बंद करवा दे मौत का तमाशा
होता रहा ये सब तो कुछ न बचेगा, न मजहब न खुनी प्यासा
मन्दिर के घंटे चीखे, चिल्लाएं मस्जिद की अजाने
मजहब की लडाई बंद कर दो, ओ मजहबी दीवाने
अपने मंसूबो की खातिर, क्यों करते हो मजहब बदनाम
एक संदेशे नानक ईसा के , एक ही आल्लाताला राम
मित्रो , आप सभी को नवरात्री और ईद की दिल से ढेर शुभकामनाये ।
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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majahab sikhata aapas me sab bhai-bhai...
जवाब देंहटाएंgour kariyen Apasa me
yane Apas me...bhai-bhai
majahab ke bhahar nahi....
सुन्दर रचना । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमज़हब वास्तव मे प्रेम ही तो सिखाता है
बहुत सही लिखा आपने .. बहुत सुदर रचना !!
जवाब देंहटाएंsabhi pathko ka hardik dhanyawad
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