रविवार, 14 अगस्त 2011

एक अनोखा रक्षाबंधन: इतिहास के झरोखे से



सर्वप्रथम आप सभी को प्यार के बंधन के पावन पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाये !!



मित्रो , हमारे देश के महान नेताओ ने देश की आज़ादी के समय जीवन के हर पक्ष को आज़ादी के एक मौके की तरह से इस्तेमाल किया , चाहे वो त्यौहार ही क्यों न हो !



इसी तरह जब १९०५ में लार्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन प्रस्तावित किया तो , गुरुदेव रवींद्र नाथ टेगौर (तब उन्हें गाँधी जी ने गुरुदेव की उपाधि नही दी थी ) ने रक्षाबंधन पर्व का एक सार्थक प्रयोग किया था। चूँकि अंग्रेजो का बंग भंग करने का मकसद फूट डालो राज करो की नीति के अंतर्गत हिन्दू मुसलमानों में फूट डालना था । लेकिन हमारे महान नेताओ ने उनके मंसूबो पर पानी फेर दिया । जहाँ कृष्ण कुमार मित्र ने स्वदेशी आन्दोलन चलाकर जहाँ अंग्रेजो की नाक में दम कर दिया था , वहीँ रवींद्र नाथ टेगौर ने रक्षा बंधन को अनोखे तरीके से मनाया । पुरे बंगाल में हिन्दुओ ने अपने मुस्लिम भाईयो को राखी बांध कर अंग्रेजो के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा । इसी रक्षा बंधन के दौरान ही रवींद्र नाथ टेगौर ने अपना विख्यात गीत आमार सोनार बांगला लिखा था , जो आगे चलकर बंगलादेश का राष्ट्रगान बना । (रवींद्र नाथ टेगौर विश्व के एकमात्र व्यक्ति है जिन्होंने दो राष्ट्रों के राष्ट्रगान की रचना की है ।)



इस तरह एक रक्षाबंधन वो भी था , जब हिन्दू मुसलमान एक हो गये थे । आज के दौर में इसकी प्रासंगिकता और बढ़ गयी है .....



ये बंधन तो ...........प्यार का बंधन ..

सोमवार, 1 अगस्त 2011

भारत रत्न : न जाने कितने जतन

अटल बिहारी वाजपेयी


वर्गीज कुरियन




डॉ एम० एस० स्वामीनाथन





नमस्कार ,








आज देश में सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने की मांग बड़े जोर शोर से उठ रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने सचिन से पहले हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को देने की बात कही है। जबकि मेरा मानना है , कि खिलाडियों को जब उनके खेल में योगदान के लिए पहले से ही राजीव गाँधी खेल रत्न दिया जाता है , तो उन्हें भारत रत्न दिए जाने कि तुक कहाँ तक सही है ? मेरे ख्याल से भारत रत्न सिर्फ उन्ही लोगो को दिया जाना चाहिए जिन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया हो , न कि किसी क्षेत्र विशेष में दिए गये योगदान के आधार पर।




आज भी देश में बहुत से ऐसे लोग है , जिन्होंने देश के लिए सचिन तेंदुलकर से ज्यादा योगदान दिया है। जैसे हरित क्रांति के सूत्रधार डॉ एम्० एस० स्वामीनाथन, श्वेत क्रांति के सूत्रधार डॉ वर्गीज कुरियन तथा ९८ परमाणु परिक्षण के पुरोधा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी और ऐसे नमो कि सूचि बहुत लम्बी है जिन्होंने देश के लिए सचिन कि तुलना में कहीं ज्यादा योगदान दिया है । मैं सचिन को भारत रत्न दिए जाने का विरोधी नही हू मगर उससे पहले इन लोगो को भी भारत रत्न बनने का हक पहले है।








भारत रत्न जहाँ देश का सर्वोच्च सम्मान है , वही कुछ कमी सी लगती है , जैसे यह सम्मान प्रत्येक वर्ष नही प्रदान किया जाता है । क्या भारत भूमि में रत्नों कि इतनी कमी है , कि हम हर साल एक भारत रत्न नही दे सकते है ?








दूसरी कमी ये महसूस होती है कि इस सम्मान में अभी तक राजनेताओ का ही बोलबाला रहा है , तो क्या देश की सेवा केवल राजनेता ही करते है । नोबल पुरुस्कार कि तर्ज़ पर भारत रत्न को भी मरणोपरांत दिया जाना बंद कर देना चाहिए । क्योंकि लौह पुरुष सरदार पटेल को उनके मरने के पचास साल बाद भारत रत्न दिया जाना किस तरह से उनका सही सम्मान लगता है ।








भारत रत्न के बारे में मेरा एक और सुझाव है कि इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनायीं जनि चाहिए जिसमे अलग अलग क्षेत्रो के विशेषज्ञ हो और उनके द्वारा तैयार कि गयी सूचि पर जनता से राय जाननी चाहिए ।

orchha gatha

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