शनिवार, 31 मार्च 2012

जुगाड़ सिस्टम (हास्य कविता)











एक
अमेरिकी निकला, भारत के सफ़र पर
पर भीड़ भाड़ के कारण , न मिला होटल में अवसर
न जाने कितने होटलों के लगा चुका था, चक्कर
पर हर जगह उसे निराश मिली, हाउसफुल पढ़कर
एक आदमी मिला, बोला मिल जायेगा रूम, तुम्हे जुगाड़ पर
बस इसके लिए तुम्हे खर्च करने होंगे , कुछ और डालर
व्हाट इज जुगाड़ ? इससे कैसे मिलेगा रूम
दिस इज इंडियन सिस्टम, बस तू ख़ुशी से झूम
इस तरह आदमी ने अमेरिकी को दिलाई राहत
पर वो हैरान देख के जुगाड़ की जगमगाहट
उस आदमी ने अमेरिकी को जुगाड़ से दिलाया वापिसी टिकट
पर इस जुगाड़ सिस्टम से था , एक प्रश्न विकट
पहुचते ही अमेरिका, उसने प्रेसिडेंट से संपर्क साधा
इंडिया से जल्द मांगो जुगाड़ सिस्टम, जो दूर करे हर बाधा
अमेरिकी प्रेसिडेंट ने फोम लगाया, तुरत इंडियन प्राइम मिनिस्टर को
बोले क्या है ये जुगाड़ सिस्टम, जो दीवाना बनाये इस मिस्टर को
जल्द से जल्द आप हमें ये जुगाड़ सिस्टम एक्सपोर्ट कीजिये
सॉरी हम मजबूर है, इस बार हमें बक्श दीजिये
पहली बार हमें आपको मनाही करनी पड़ रही है
बस इसी सिस्टम से ही तो, हमारी सरकार चल रही है

आप सभी को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

9 टिप्‍पणियां:

  1. भाव विभोर करती बेहद सुन्दर रचना:-)
    ...राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  2. पहली बार हमें आपको मनाही करनी पड़ रही है
    बस इसी सिस्टम से ही तो, हमारी सरकार चल रही है
    .................बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  3. .................बहुत सुंदर
    पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ

    मैं ब्लॉगजगत में नया हूँ कृपया मेरा मार्ग दर्शन करे
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 09 अक्टूबर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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