गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

बाकी रह गये कुछ निशां

जिन्दगी में कुछ छूट जाता है , जाने कहाँ
होता है सब कुछ साथ, पर है दिल तनहा
अतीत की होती है, कुछ रंगीली यादें
कुछ खाली पन्ने , होते है कुछ अधूरे फलसफा
मन करता है, कि फिर लौट चले पीछे
पर बाकी है, अभी देखना आगे का जहाँ
हम तनहा ही चले थे, इस सफ़र में
आज फिर तनहा, छूते जाने कितने कारवां
ख़ुशी सी होती नही, पर गम भी नही
निकले थे कितने अश्क, लगे कितने कहकहा
लहरें यूँ ही आती रही , साहिल पे खड़े हम
आखिर समंदर में डूब ही गया ये आसमां
टूट गये वो बनाये हुए रेत के महल
पर अभी भी बाकी रह गये कुछ निशां......

8 टिप्‍पणियां:

  1. मन करता है, कि फिर लौट चले पीछे
    पर बाकी है, अभी देखना आगे का जहाँ
    हम तनहा ही चले थे, इस सफ़र में
    आज फिर तनहा, छूते जाने कितनेकारवां ... सही एहसासों को शब्द दिए , ऐसा ही होता है

    जवाब देंहटाएं
  2. निशान हमेशा रह जाते अहिं दिल के अंदर ...
    गहरे एहसास ...

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्‍छे शब्‍द संयोजन के साथ सशक्‍त अभिव्‍यक्ति।

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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