मंगलवार, 7 अगस्त 2012

बूंदों में जाने क्या ......नया है ?

अले याल फिल पानी गिलने लगा ,...तू भी तो अपने पापा से छतरी मँगा !

छई छप्पा छई ...चलो उठो ...फिर से खेलते है छई छप्पा छई !
अक्सर बच्चे ही बारिश की बूंदों का मजा ले पाते ....हमारे भीतर तो बचपना बचा ही नही है . अब देखो न कितने मजे से खेल रहे बच्चो के झुण्ड में जब एक बच्चा गिर जाता है , तो बाकि उसे उठाने को दौड़ पड़े है . और हम इसे देख कर बस इतना कह पाते है ........काश !
बरसे चाहे कितना भी  पानी , पर माँ कहती पढने से न करना आना-कानी
बारिश में सबसे बुरा लगता है , स्कूल जाना ! लेकिन मन मार कर जाना पड़ता है . और जब मम्मी मेरे लिए इतनी परेशान हो सकती है , तो मैं तो उनका लाडला राजकुमार स्कूल क्यों  नही जाऊंगा ? एएँ !
गिरा अबकी खूब पानी ...सड़क पे आ गयी जल की रानी लाओ बंसी पकडे मछली खूब सारी, माँ भी होगी खुश बनेगी इसी की तरकारी
अरे यार छोडो स्कूल ...वहां भी तो पानी टपक रहा है , चलो  मछली पकड़ते है .........देखो कौन सबसे ज्यादा मछली पकड़ता है ? अरे ...वो  देखो मछ्....छ्ली !!!!!!!!!!!
हम तो है बाल मजदूर , हर हाल में काम करने को मजबूर
माँ बीमार है , घर में पानी भरा है , बापू का पता नही , माँ की दवा लेने  के लिए पैसे की व्यवस्था भी तो करनी है . अब काम तो करना ही होगा ........घर पर माँ इन्तजार कर रही होगी ......मुझे नही खेलना .......लाया साब ....गर्म ही ला रहा हूँ !
बारिश चाहे करें कितनी भी खटपट , पर अपना धंधा न होने दूंगा  चौपट 
अरे साब , बारिश आप बड़े लोगो को ख़ुशी देती होगी , अपने लिए तो मुसीबत ही होती है ....अब देखो न , कल रात हुई तूफानी बारिश में दुकान बह गयी .किसी तरह  काम तो करना होगा , वरना पेट कैसे भरेगा ?
जब बारिश हो जोरदार , तब ऐसी करें आड़ , जय भारत और जय जुगाड़



सीप न सही मकड़ी होके भी है स्वाति की चाह , बोलो वाह वाह

बूंदों में जाने क्या ......नया है ?

एक बूंद में समायी सारी कायनात .......

मगर आजकल शहरी आपा-धापी में ऐसे नज़ारे देखने वाले लोग बारिश की खुबसूरत कहानियो को कहाँ पढ़ पाते है ?
आपको इन चित्रों के माध्यम से सुनाई गयी कहानियों में से कौन सी कहानी अच्छी लगी ? जरुर बताना

6 टिप्‍पणियां:

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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