गुरुवार, 27 सितंबर 2012

हो रहा भारत निर्माण ( व्यंग्य कविता )

 १२ सितम्बर को साहित्य अकादमी , मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद्  भोपाल तथा  हिंदी विभाग , डॉ हरी सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय , सागर द्वारा आयोजित ' पद्माकर समारोह ' काव्यपाठ हुआ . जिसमे कई बड़े कवि-कवियत्रियो के साथ मैंने भी अपनी कवितायेँ पढ़ी . उनमे से एक कविता आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ .
हो रहा भारत निर्माण  !

ऐ जी , ओ जी , लो जी  , सुनो जी 
हम करते रहे जी -जी , वो कर गए 2  जी 
महंगाई का चढ़ा पारा , बिगड़ी वतन की हेल्थ 
सब मिल के खा गए , खेला ऐसा कामनवेल्थ 
दुनिया करे छि-छि , हो कितना भी अपमान 
अबे चुप रहो ! हो रहा भारत निर्माण ..... 
पेट्रोल इतना महंगा , पकड़ो अब टमटम
खी-खी करके , कर गए वे स्पेक्ट्रम 
हम मरें भूख , महंगाई, गरीबी , बदहाली से 
और वो ख़ामोशी ओढ़े  ,कोयले की दलाली से 
दाग अच्छे है ! कोयले से भी न टूटा ईमान
अबे चुप रहो ! हो रहा भारत निर्माण .....  
कार्टून बनाने पर , मचा दिया कार्टूनों ने बवाल 
फिर कैसी ख़ामोशी , कौआ चले हंस की चाल 
होते रहे आतंकी हमले , जीते रहे नक्सलवादी 
खामोश रहना ही भला , ऐसी मिली आज़ादी 
आये चाहे बाढ़ या सूखा , मरते रहे चाहे किसान 
अबे चुप रहो ! हो रहा भारत निर्माण ..... 


बुधवार, 19 सितंबर 2012

कांटा लगा !!!!!

 बहुत पहले गणेश चतुर्थी के समय ये कविता लिखी थी , आज आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ .

गणेश चतुर्थी के पहले लोग पंडाल सजा रहे थे
लेकिन धार्मिक की जगह , फ़िल्मी गीत बजा रहे थे
बंगले के पीछे कांटा लगा, बुद्धि विनायक  सुन रहे थे
मानो काँटों से बचने के लिए , जाल कोई बुन रहे थे
बेरी के नीचे लगा हुआ था, काँटों का अम्बार
लहूलुहान से गजानन , होके बेबस और लाचार
सोच रहे थे कब अनंत चतुर्दशी आएगी
जाने कब इन  बेरी के काँटों से मुक्ति मिल पायेगी
मुश्किल हो गया , इस लोक में शांति का ठिकाना
नाक में दम कर दिया ,और कहते अगले बरस जल्दी आना
मैं इसी बरस जल्दी जाने की सोच रहा हूँ
अपने फ़िल्मी भक्तों के लिए , अपने आंसू पोछ रहा हूँ
मुझसे भी बढ़कर है , इनके लिए फिल्मे और फ़िल्मी संसार
फिर गणेशोत्सव क्यों मानते , करते क्यों मुझ पर उपकार ?
- मुकेश पाण्डेय 'चन्दन '
गणेश चतुर्थी और पर्युषण पर्व की शुभकामनाएं

रविवार, 9 सितंबर 2012

इंडियन मीडिया सेंटर :उज्जैन यात्रा

भस्म आरती के लिए पंक्तिबद्ध
नमस्कार मित्रो , बहुत दिनों बाद आप से रु-ब-रु हो रहा हूँ . मैं मालवा दौरे में व्यस्त रहा . इस दौरे में उज्जैन में 'इंडियन  मीडिया सेंटर ' के मध्य प्रदेश चैप्टर में शामिल हुआ . जहाँ उज्जैन के चर्चित ब्लोगर ' श्री सुरेश चिपलूनकर ' से मुलाकात हुई . इसके अलावा कार्यक्रम में साधना न्यूज के संपादक श्री एन 0 के ० सिंह , माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रिय पत्रकारिता विश्वविद्यालय , भोपाल के कुलपति  श्री  बी ० के ० कुठियाला और अन्य कुछ बड़े पत्रकारों से मिला . 
महाकाल का प्रसाद लिए हुए , पृष्ठभूमि में महाकाल मंदिर
काल भैरव मंदिर के बाहर  शराब बिकते   हुए ....साथ ही पुलिस वाले भी अपनी ड्यूटी में  !
अब अपनी यात्रा के बारे में कुछ बताता हूँ . मैंने अपने मैराथन दौरे के दौरान उज्जैन - इंदौर -ओम्कारेश्वर - इंदौर - धार- मांडू का सफ़र तय किया . इस दौरान जहाँ उज्जैन -ओम्कारेश्वर जैसे धार्मिक तीर्थ स्थल गया तो वही धार -मांडू (मांडव ) जैसे ऐतिहासिक शहर भी देखे . अब मैं दौरे के बारे में कुछ  विस्तार से बताता हूँ . मैं रात के ११ बजे 'महाकाल की नगरी '  उज्जैन पंहुचा . सुबह ४ बजे महाकाल की भस्म आरती (इसमें भगवान महाकाल की भस्म से श्रृंगार किया जाता है ) में शामिल होना था , इसलिए जल्द खाना खा कर सो गया .भस्म आरती में शामिल होने एक दिन पहले पंजीयन करना पड़ता  है .भस्म आरती में शामिल होने के लिए पुरुष केवल धोती (सोला ) और महिलाएं केवल साड़ी ( बिना पेटीकोट के ) में जा सकती है .हालाँकि महिलाओ वाली बात मुझे अटपटी जान पड़ी , क्योंकि मंदिर के अन्दर महिला पुलिस महिलाओं की साड़ी उठाकर उनके पेटीकोट चेक कर रही थी . भस्म आरती लगभग एक घंटे चलती है . जब भगवान् महाकाल को भस्म का विशेष श्रृंगार किया जाता है , तब नंदी हाल में उपस्थित महिलाओं  को घूँघट करने को कहा जाता है , ताकि वो भगवान् का ये विशेष श्रृंगार न देखे ! भगवान् महाकाल द्वादश ज्योतिर्लिंगों में विशेष माने जाते है, क्योंकि कहा जाता है , कि जो एक बार महाकाल के दर्शन कर लेता है , वो जीवन में अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाता है . महाकाल को उज्जैन का राजा और रक्षक मन जाता है . सावन के सोमवार को महाकाल की शाही सवारी निकलती है , जिसमे मध्य प्रदेश शासन महाकाल को बन्दूको की सलामी ( गार्ड ऑफ़ ऑनर ) दी जाती है 
क्षिप्रा के किनारे राम घाट
                                                                        . उज्जैन को मंदिरों की नगरी कहा जाता है , क्योंकि यहाँ हर गली- चौराहे पर आपको मंदिर मिल जायेंगे . महाकाल परिसर में ही कई मंदिर है . इसके अलावा उज्जैन के अन्य प्रसिद्द मंदिरों में काल भैरव मंदिर जो कि भगवन शिव का क्रुद्ध अवतार है , इन्हें शराब का भोग लगता है , आश्चर्य की बात ये है , कि काल भैरव इसका सेवन करते हुए दिखाई पड़ते है , जब  पुजारी एक प्याले में शराब डाल कर काल भैरव की मूर्ति के मुख के पास  रखते है,  तो प्याले में से मदिरा धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती है ! अन्य मंदिरों में हरसिद्धि देवी मंदिर , सिद्धवट , गढ़कालिका , मंगलनाथ ,चार धाम  मंदिर , बड़े  गणेश , क्षिप्रा घाट आदि . इसके अलावा एतिहासिक स्थानों में राजा भ्रत हरि की गुफा , किला , जंतर-मंतर ( ये पृथ्वी के केंद्र पर है ) , संदीपनि आश्रम ( जहाँ कृष्ण-बलराम और सुदामा पढ़े ) आदि .
सिंहासन   बत्तीसी जल कुम्भी भरे गंदे तालाब के नीचे है , हालाँकि  इसमें बगुले सैर कर रहे है !

सिंहासन बत्तीसी वाले तालाब के किनारे हष्ट-पुष्ट भिखारी
महाकाल मंदिर से हरसिद्धि मंदिर की और जाते समय रास्ते में एक गन्दा तालाब सा मिला , जिसमे बहुत सारी जलकुम्भी लगी थी , बताते इस स्थान पर राजा विक्रमादित्य का सभागार था ,यहीं सिंहासन बत्तीसी  है . भारत के हर तीर्थ स्थान की तरह उज्जैन  में भी भांति -भांति के भिखारी है , जिसमे  कुछ बड़े ही हष्ट-पुष्ट मिले . विक्रम विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में 'इंडियन मीडिया सेंटर ' के कार्यक्रम के पश्चात् हम लोग उज्जैन भ्रमण पर निकले , जिसमे काल-भैरव , गढ़ कालिका , भरथरी की गुफा , सिद्ध   वट , मंगल नाथ होते हुए महाकाल धर्मशाला पहुचे ........फिर दुसरे दिन सुबह इंदौर होते हुए ओम्कारेश्वर की यात्रा पर निकल गए ..उसकी कहानी अगली  पोस्ट में    

orchha gatha

बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)

एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...