मन को भिगो गई पहली फुहार
धरती पर बरस पड़ा, बादलों का प्यार
मेघो से न देखि गई, वसुधा की तपन
तर-बतर करके किया जल अर्पण
रिम झिम बूंदों में, मन मयूर सा नाचा
भीगकर सबने, राग मल्हार बांचा
सूनी आंखे भर आई , ख़त्म हुआ इंतजार
मन को भिगो गई पहली फुहार
किसान काका की आँखों में आई चमक
गरजे बादल , जब हुई बिजली की दमक
पानी नही उनके लिए अमृत बरसा
आओ झूमे ,नाचे, मिलके करे जलसा
पर याद रखना , पानी है जीवन का आधार
कल भी ये बरसे , मत जाने दो इसे बेकार
सभी लोगो को मानसून की पहली वारिश मुबारक हो ! दोस्तों इस बार मानसून जरा देर से आया है अगर हम पानी को न सहेजे तो हो सकता है कल मानसून आए ही न ! अतः सभी लोगो से करबद्ध निवेदन है की इस बार पानी को ज्यादा से ज्यादा जमीन में पहुचने की कोशिश करे । चाहे वो रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो या कोई अन्य तरीका पर अपनी अगली पीढी के लिए पानी बचाए , जल है तो कल है !
- आपका स्नेहिल मुकेश पाण्डेय "चंदन"
जल है तो कल है -सुन्दर संदेशा!!
जवाब देंहटाएंसूनी आंखे भर आई , ख़त्म हुआ इंतजार
जवाब देंहटाएंमन को भिगो गई पहली फुहार
किसान काका की आँखों में आई चमक
गरजे बादल , जब हुई बिजली की दमक
पानी नही उनके लिए अमृत बरसा
आओ झूमे ,नाचे, मिलके करे जलसा
वाह....!!!
मानसून के स्वागत की सुंदर कविता ......!!
बहुत बढिया रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंइसी लिए हमने छाता पहले ही खरीद लिआ।:))
आपकी भी बारिश खूबसूरत हैं :-)
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat rachana
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