गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009

गाँधी और आज की प्रासंगिकता !

1 टिप्पणी:

  1. लिखा हुआ भी सागर में
    फिर टिप्‍पणियों की रीति गागर
    क्‍यों रख दी है यहां
    गांधी जी को छोड़ आए कहां

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ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...