शनिवार, 5 मई 2012

जिन्दगी तुम्हारे आने के बाद ........

जिन्दगी तुम्हारे आने के बाद कितनी बदल गयी है
क्या  कहे जिंदगी भटकी या फिर संभल गयी है  
पहले जिंदगी  ही चलती  रही थी जा रही थी 
पर अब तुमसे , मिलने जिन्दगी ठहर गयी है 
धड़कने धड़कती है , बस तुम्हारे लिए ही 
और सांसें , तो बस तुम्हारे लिए मचल गयी है 
जिन्दगी की , रह की मंजिल हो गयी हो  तुम
अब तो इस महकते 'चन्दन' की  बदल गयी है 

1 टिप्पणी:

  1. धड़कने धड़कती है , बस तुम्हारे लिए ही
    और सांसें , तो बस तुम्हारे लिए मचल गयी है

    वाह !!!!! बहुत सुंदर बेहतरीन रचना //चन्दन जी,..बधाई



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ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...