सोमवार, 5 नवंबर 2012

अबकी दिवाली ऐसी मनाना !

अबकी दिवाली ऐसी मनाना
दीयों में नहीं , दिल में भी ज्योत जलाना 
दूर हो मन का अँधेरा  , ऐसा हो प्रकाश
बस घरों में ही नहीं , जीवन में भी हो उजास
दीप मालाओं सा, प्रकाशित हो जीवन 
दूर हो अँधेरा , उज्जवल  हो मन 
अपने ही नहीं , दूजों के जीवन में खुशियाँ लाना 
 अबकी दिवाली ऐसी मनाना
खुशियों से उन्हें भर दो , जो दिल है खाली 
 खुद तक सीमित न रखना ये दिवाली 
 रोशन हो उनके घर भी, जिनकी  सूनी है थाली 
सबके घर हो रोशन , ऐसी हो दिवाली 
दीयों में नहीं , दिल में भी ज्योत जलाना 
अबकी दिवाली ऐसी मनाना

orchha gatha

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