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सामने आपको हुशंग शाह का मकबरा दिखाई दे रहा है . आज ये खंडहर बताते है , कि एक दिन सबको चले जाना है ...और सब यहीं छोड़कर ! |
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रानी रूपमती से विवाह के बाद जब बाज़ बहादुर को रूपमती ने बताया , कि वो बिना नर्मदा दर्शन के भोजन नही करती , तो बज बहादुर ने २४ घंटो के अन्दर मांडू के इस सबसे ऊँचे टीले पर रूपमती महल का निर्माण कराया . यहाँ से नर्मदा के दर्शन करने के बाद ही रूपमती भोजन करती थी . |
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शायद यही पर बैठकर रानी रूपमती नर्मदा के दर्शन करती होंगी..थोड़ी कोशिश तो मैंने भी की थी ..लेकिन धुंध के कारण नर्मदा तो नही लेकिन प्रकृति के सुन्दर नज़ारे जरुर दिखे . |
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रूपमती के महल देखने के बाद बज बहादुर के महल के भी दर्शन कर लिए जाये . कहते है . यही बैठ कर बज बहादुर सितार बजाकर रूपमती को रिझाता था . पर आज सन्नाटा पसरा रहता है . |
हाँ तो मांडू मध्य प्रदेश के धार जिले का एक खुबसूरत सा क्षेत्र है , जिसे
मांडव गढ़ के नाम से भी जाना जाता है . राजा भोज के समय से इसका विकास हुआ ,
लेकिन मांडू ने अपना यौवन मध्यकाल में खिलजी या खलजी वंश के समय पाया .
इसके रूप श्रृंगार को निखारने में होशंगशाह का भी योगदान रहा है .
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ये है इको पॉइंट ! आज से बहुत पहले की दूर संचार व्यवस्था . किसी खास पॉइंट पर खड़े होकर आवाज़ देने पर अपनी आवाज़ फिर से सुने देती है . इसी तरह पहले राजा लोग अपने सन्देश इनके माध्यम से धार तक बिना किसी आदमी या हरकारा के सिर्फ आवाज़ से ही पंहुचा देते थे . ये दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इको पॉइंट है . |
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इको पॉइंट के सामने बैठे हमारे ये पूर्वज बड़े प्यार से हमारे हाथो से चने आदि खाते है . |
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अकबर के आराम के लिए बनवाई गयी ये ईमारत आज नीलकंठ महादेव मंदिर है . वास्तु शैली मुग़ल है , पर ये हिन्दू मंदिर है .यहाँ से सामने विंध्यांचल की सुन्दर घाटियाँ दिखाई देती है . |
इतने सारे महल (किले नही )आपको और कहीं नही देखने मिलेंगे मांडू के
कोने-कोने में स्थापत्य का वैभव बिखरा पड़ा है . और प्राकृतिक सुन्दरता भी
इसमें चार चाँद लगा देती है . विन्ध्य की खुबसूरत वादियों में बसा मांडू
अपने स्थापत्य के साथ-साथ रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम गाथा के लिए
जाना जाता है . कहते है , आज भी मांडू की फिजाओं में उनकी प्रेम कहानियां
सुमधुर लहरियों के साथ घूम रही है .
इस हिस्से को प्रकृति ने बड़े ही प्यार से पाला- पोसा है . उत्तर की ओर
विंध्यांचल की उपत्यकाएं ...दक्षिण की ओर सतपुड़ा के घने जंगल इन दोनों का
विभाजन करती नर्मदा इस क्षेत्र की खूबसूरती में चार चाँद लगाती है . गुप्त
काल में जब चीनी यात्री फाहियान भारत की यात्रा पर आया था , तो उसने मालवा
की जलवायु को विश्व की सर्वश्रेष्ठ जलवायु बताया था . तब महान प्रतापी शासक
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की राजधानी यहीं मालवा में उज्जयनी (वर्तमान में
उज्जैन ) थी
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ये है , मांडू के सबसे प्रसिद्द इमारत जो बहुत ही खुबसूरत है , इसके दोनों ओर बने तालाब जहाँ इसकी खूबसूरती को बढ़ाते है , वही इसके नाम " जहाज महल " को भी सार्थक करते है . |
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झूले जैसी संरचना के कारण इस महल को " हिंडोला महल " कहा जाता है . |
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सुन्दर बगीचे इन महलो की खूबसूरती को और अधिक खुबसूरत बनाते है . |
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जहाज महल का एक और दृश्य ! |
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मांडू में एक दुकान पर राखी जहाज महल और रानी रूपमती की पेंटिंग |
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ये है मांडू की इमली , जो पुरे भारत में सिर्फ यही मिलती है , मांडू जाओ तो इसे जरुर चखना . |
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विदेशी सैलानी भारतीय संस्कृति को अपने कैमरे में कैद करते हुए ... |
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वैसे मांडू में चारो ओर स्थापत्य कला और प्राकृतिक छटा जगह -जगह बिखरी है , लेकिन अब थक गया हूँ भाई ! अब क्या बच्चे की जान लोगो ? फ़िलहाल इतना ही ....आगे फिर कभी ..राम राम |