गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

शुभ नव varsh

प्रतिपल उत्कर्ष मिले .....
नव वर्ष और नव्दशक की हार्दिक शुभकामनाये !
आपको जीवन में प्रतिपल उत्कर्ष मिले
सफलताए प्रतिपल और प्रतिवर्ष मिले
आगामी वर्ष आपके लिए खुशिया ही लाये
और यह वर्ष खुशियों की याद बन कर जाये
रंग बिरंगे सुमन खिले आपके ह्रदय आँगन
चन्दन सी खुसबू का हो परिणय मनभावन
गम का कही नाम न हो , नित्य प्रति हर्ष मिले
आपको जीवन में प्रतिपल उत्कर्ष मिले
सूर्य सा हो गौरव आपका , कीर्ति चन्दन सी
स्थान शिखार्तम हो , इच्छा हो वंदन की
हर कदम पे सफलताए मिले , हर राह में रज फूलों की
यही कामना हमारी, विसरित करना बातें कुछ भूलो की
ख़ुशी शांति का पैगाम , यह सन्देश नववर्ष मिले
आपको जीवन में प्रतिपल उत्कर्ष मिले
आपका ही शुभेच्छु मुकेश पाण्डेय "चन्दन"

रविवार, 20 दिसंबर 2009

कोपेनहेगन ; बड़े-बड़ो के चोंचालें....

नमस्कार, दोस्तों
आजकल डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन पर १९२ देशो का विचार मंथन चल रहा है । हमारे प्रधानमंत्री महोदय भी वहां तशरीफ़ ले गये है । जहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कारन उन्हें ट्राफिक जाम में फसना पड़ा । जैसा की हम सभी जानते है की , दुनिया में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश कार्बन डाय ओक्साईड गैस का सबसे ज्यादा उत्सर्जन करते है, जिसके कारन जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या सामने आ रही है । मगर ये देश सोचते है की इस समस्या से निपटने का सारा जिम्मा विकासशील देश ही उठाये जो की गलत ही नही बल्कि उनका गैरजिम्मेदारना रवैया दिखलाता है । खैर जैसा की पहले से ही तय लग रहा था की इस सम्मलेन से कोई हल नही निकलने वाला है । वही हो भी रहा है ।
खैर हम सरे देश वासी भी कोई बहुत जागरूक नही है। आज भी हमारे देश में पर्यावरण को लेकर कोई खास जागरूकता नही है। इसकी आगे बहुत ज्यादा जरुरत है। अगर हम जल्द ही चेते नही तो हो सकता है की हमारे देश के नक़्शे से लक्ष्यदीप और अंडमान के कई द्वीप गायब हो जाये ! हमारी जल की बर्बादी का ही नमूना ले लीजिये ॥ बिहार में हर साल बाढ़ आती है तो देश के कई हिस्से पानी को तरसते है। आज ही गाँव में खाना पकाने के कल लिए लकड़ी को जलाया जा रहा है, जबकि देश में जंगल तेजी से ख़त्म हो रहे है । सडको के प्रदुषण का तो हाल आप जानते ही है । खैर खतरे की घंटी बज रही है हम नही जागे तो फिर हो सकता है ,की हमें फिर जागने की नौबत ही न आये (तब तक बहुत देर हो चुकी होगी )
अब बरी है पुछल्ले की ......
अपने जवाहर सिंह झल्लू जो की बहुत प्रतिभाशाली है , उनसे पत्रकारों ने दुनिया में तेजी से बढ़ रही कार्बन डाय ओक्साइड की मात्र कम करने का सुझाव पूछा तो झल्लू जी ने कहा -" सरे पेड़ो को कटवा दो साले सभी पूरी रात कार्बन डे ओक्साइड का उत्सर्जन करते है ।
न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी

शनिवार, 19 दिसंबर 2009

किन्नरों की एतिहासिक गाथा !!

नमस्कार , मित्रो
जबसे मेरे शहर की महापौर किन्नर कमला बुआ बनी है , मैंने सोचा क्यों न इतिहास का छात्र होने के नाते आप सभी को इतिहास में किन्नरों की कुछ गाथाये सुना दू । सबसे पहले किन्न्नारो के बारे में जानकारी रामायण काल में प्राप्त होती है । जब भगवन श्री राम बनवास के लिए जा रहे थे तो उन्हें छोड़ने आये अयोध्या वासियो से उन्होंने कहा- सभी नर- नारी अब वापिस चले जाये ! तो सभी नर- नारी तो चले गये मगर किन्नर खड़े रह गये ! भगवन राम के कारन पूओछ्ने पर किन्नरों ने कहा , प्रभु आपने नर-नारियो को जाने को खा था , मगर हम तो न नर है न नारी , इसलिए हम गये नहीं। तब भगवन ने उन्हें आशीष दिया - " जाओ तुम लोग कलयुग में राज करोगे " (शायद इसीलिए शुरुआत मध्य प्रदेश से हुई है ?!)
महाभारत काल में पांडव अज्ञात वास में जब विरत नरेश के यहाँ गुप्त रूप में रह रहे थे तो अर्जुन ब्रहंल्ला नमक किन्नर बने थे , जो स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी का श्राप था ! आगे महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह की मृत्यु का कारन बना शिखंडी भी किन्नर था ।
मध्यकालीन इतिहास में सल्तनत युग में प्रसिद्द सुलतान अलाउदीन खिलजी के दक्षिण अभियान का सफल नेतृत्व मालिक काफूर नामक हिजड़े ने किया था । उत्तर प्रदेश के शहर को जौनपुर को एक हिजड़े शासक ने इतना सुन्दर बनाया की इसे पूर्व का शीराज खा जाने लगा था । उत्तरवर्ती मुग़ल शासक जहांदार शाह भी एक किन्नर के प्रेम जाल में गिरफ्त था !
आगे भी कुछ इल्चास्प कहानिया है किन्नरों की बहादुरी की मगर फिर कभी ........
अब बारी पुछल्ले की
अपने जवाहर सिंह "झल्लू " एक बार चुपके से स्वर्ग में घुस रहे थे , की तभी स्वर्ग के पहरेदारों ने उन्हें देख लिया। झल्लू जी को पकड़ कर बहुत मारा ।
झल्लू जी झल्ल्ला गये और बोले सालों तुम्हारी इन्ही हरकतों के कारन कोई स्वर्ग नही आना चाहता !!! :-)

मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

न जीता कमल, न जीता पंजा! वाह रे मतदाता जीत गया छक्का !!!!

जी हाँ दोस्तों , शीर्षक सही है और मेरी मानसिक स्थिति भी अभी ठीक है। मध्य प्रदेश के सागर शहर के मतदाताओ ने महापौर (meyar) के पद के लिए एक किन्नर "कमला बुआ " को रिकॉर्ड मतों से जीताया है .जी हाँ मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार और केंद्र में कांग्रेस की सर्कार होने के बाद भी लोगो ने एक निर्दलीय किन्नर को भरी मतों से जिताया है । ये हाल है की , भाजपा की कमजोर स्थिति देख कर खुद मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को आना पड़ा मगर उनकी अपील भी मतदाताओ को लुभा नही पाई । मुख्यमंत्री ने कहा था की अगर यहाँ से यदि भाजपा प्रत्याशी जीतती है , तो वे सागर को विशेष पैकेज देंगे । मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी सागर को केंद्र सरकार से भारी अनुदान और सहायता राशि दिलाने का वादा भी कांग्रेस को तीसरे नंबर पर जाने से नही रोक पाया । गनीमत है की कांग्रेस की जमानत बच गयी। मतदान के दिन सभी मतदाता खुलकर कह रहे थे की मेरी वोट चाभी (कमला बुआ का चुनावचिंह) को गया है ।
अब प्रश्न ये उठता है की ,
आखिर मतदाता ने क्यों एक किन्नर को चुना ?
क्या कमला बुआ इतनी लोक प्रिय थी ?
क्या भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी कमजोर थे ?
या फिर जनता कुछ नया चाहती थी ?
क्या लोग भाजपा के नगर निगम में लगाक्तार दस सालो के कार्यकाल से नाखुश थी ?
सबसे पहले मेरे ख्याल से जनता ने कमला बुआ किन्नर को इसलिए चुना की, वो इसके माध्यम से इन दोनों पार्टियों को ये सन्देश देना चाहती है की वो अपनी नपुंसकता को त्यागे ! अपनी जेबे तो भरे मगर विकास का भी ध्यान रखे ! ऐसा नही है की इतिहास में सिर्फ सागर से ही कोई किन्नर जीता हो , इससे पहले मध्य प्रदेश में ही कटनी से महापौर कमला मौसी और सुहागपुर से शबनम मौसी (शबनम मौसी के ऊपर इसी नाम से फिल्म भी बन चुकी है , जिसमे शमनं मौसी की भूमिका सागर के ही आशुतोष राणा ने निभाई थी )विधायक बन चुकी है । मगर इन दोनों की कोई उल्लेखनीय भूमिका नही रही .कमला मौसी कत्निमे कुछ खास नही कर पाई , शबनम मौसी ने कांग्रेस के विधायक को विधान सभा में चप्पल मारी !
मगर सागर में कमला बुआ की स्थिति जरा दूसरी है। कमला बुआ पहले से ही समाजसेविका रही है । इन्होने स्वयं अपने खर्चे से कई गरीब लड़कियों की शादी धूमधाम से कराइ है । विकलांगो की न केवल सहायता की है बल्कि उनके अधिकारों के लिए राष्ट्रिय विकलांग पार्टी का गठन किया। दैनिक भास्कर द्वारा किये गये एक टॉक शो में कमला बुआ ने जनता के गंभीर सवालो ने सटीक जवाब दिए जबकि दोनों पार्टी के उम्मीदवार हिचकिचा गये थे।
खैर आज के दिन सागर में लोग जश्न और ख़ुशी मना रहे है । दोहरी ख़ुशी ! भारत अपना पहला मैच श्री लंका से संघर्ष पूर्ण मुकाबले में जीता , और महपौर के चुनाव में कमला बुआ जीती। दोनों मुकाबले में रिकॉर्ड बने (एक में रनों का , दुसरे में मतों का ) दोनों में छक्को की भूमिका महत्वपूर्ण रही !
खैर इश्वर से दुआ है की किन्नर राजनीति में आये , मगर हमारे नेतायो विकास कर के दिखा दे की इश्वर ने भले उन्हें परपक्वता नही दी है , मगर असल में नपुंसक कौन है !
अब बारी है अपने पुछल्ले की
कमला बुआ के कुछ नारे :-
- कमल नही कमला चाहिय, पंजा नही छक्का चाहिय !
- नकली नही असली चाहिय !
- न भैया से न भाभी से , अब निगम खुलेगा चाभी से !
- जब गूंजेगी कमला की ताल , कंपेगी दिल्ली , हिलेगा भोपाल !
शुक्रिया अपनी टिपण्णी से हमारा उत्साह वर्धन करते रहिये
आपका मुकेश पाण्डेय "चन्दन"

orchha gatha

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