सोमवार, 25 जुलाई 2011

सावन की भूलभुलैया.........



जय हो ,







बहुत सालों बाद आज सावन जमकर बरसा



जाने कब से इसके लिए था मन तरसा



रिम झिम सी फुहारों में



भीगी भीगी सी बहारो में



फिर भीगा सा कोई याद आया



मन में फिर वो सावन समाया



फिर दिल भीग गया उसकी यादो में



खुशबु सावन की बसी उसके वादों में



आज फिर घटाओं ने उसकी याद दिलाई



आज फिर से वही खुमारी छाई



जम के बरसो सावन



आज फिर याद आया साजन !

orchha gatha

बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)

एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...