रविवार, 12 जुलाई 2020

खूबसूरत पाण्डव जलप्रपात और गुफाएं

पन्ना झरनों का एक अलग ही संसार
 नमस्कार मित्रों मानसून का प्रवेश देश में हो चूका है , लेकिन कोरोना के संक्रमण  कारण घुमक्कड़ी लगभग बंद सी है। लेकिन मानसून में देश में झरनो की एक अलग ही खूबसूरत दुनिया शुरू हो जाती है।  देश में बारहमासी झरने  कम ही है।  चलिए हम आपको मॉनसूनी झरनो की खूबसूरत दुनिया से रू ब रू कराते है।  देश के दिल यानि मध्य प्रदेश में उत्तर प्रदेश के बाँदा जनपद से लगा एक पिछड़ा सा जिला है।  जिसका नाम है , पन्ना।  हो सकता है,आपने नाम ही न सुना हो।  वैसे पन्ना सामान्य ज्ञान की किताबों में देश के एकमात्र हीरा उत्पादक जिले के रूप में जाना जाता है।  इसके अलावा यहाँ का पन्ना टाइगर रिजर्व भी थोड़ा-बहुत प्रसिद्द है। लेकिन आज हम पन्ना जिले के छुपे हुए खजाने की चर्चा करेंगे वो भी बिना खर्चा (कोरोना काल में यही कर सकते है ) पन्ना को प्रकृति ने दिल खोल कर अपनी सुंदरता प्रदान की है। मानसून आते ही यहाँ के पहाड़ अनगिनत झरनो को अपनी गोद से उतार देते है।  छोटे-बड़े झरने बड़े ही मनमोहक दृश्यावली उत्पन्न करते है।  मैदानी इलाकों में शायद ही कोई एक जिला होगा जिसमे इतने सारे जलप्रपात होंगे।  खैर हम एक एक कर के पन्ना जिले के खूबसूरत झरनो से आपको मिलवाते है।  इस श्रृंखला  का श्रीगणेश हम पन्ना जिले के सबसे प्रसिद्द जलप्रपात पांडव फॉल एवं गुफा से करते है।
  
स्थिति - छतरपुर -पन्ना मार्ग पर पन्ना टाइगर रिजर्व के मड़ला गेट से लगभग 5 किमी पन्ना की ओर मुख्य सड़क से 600 मीटर अंदर जंगल की ओर 
प्रवेश शुल्क -50 रूपये प्रति व्यक्ति ( पन्ना टाइगर रिजर्व  की तरफ से )
                   चार पहिया वाहन के 300 रूपये 
कब तक खुला रहता है - पूरे साल सूर्योदय से सूर्यास्त तक ( जबकि पन्ना टाइगर रिजर्व अक्टूबर से जून तक खुला रहता है।  )
                          अब नाम से इतना तो पता चल ही गया होगा कि इस जलप्रपात का नाम महाभारत कालीन पांच पांडवों से जुड़ा है।  अब पांडव हस्तिनापुर से यहाँ आये या नहीं इसका कोई प्रमाण है नहीं मुझे नहीं पता।  लेकिन पन्ना जिले में ही केन नदी पर  पण्डवन नाम से एक शानदार जगह है।  जिसका सम्बन्ध पांडवों से जोड़ते है।  इसके अलावा छतरपुर के बिजावर के पास भीमकुण्ड नाम से भी रहस्यमयी कुंड है।  पन्ना से 90 किमी की दूरी पर प्रसिद्द शक्तिपीठ शारदा देवी मंदिर मैहर है , जिसका सम्बन्ध पांडवों से जोड़ा जाता है। किंवदंती है, पांडव यहाँ  स्थित प्राकृतिक गुफा में अपने अज्ञातवास के दौरान रहे है।  अब अज्ञात वास है , तो उसे ज्ञात करना मुश्किल है।  इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद भी काकोरी कांड के बाद यहाँ 4  सितम्बर 1929 को क्रांतिकारियों की एक गुप्त बैठक आयोजित की थी।  
दिल के आकार में बहने वाले इस खूबसूरत झरने को देखते ही बनती है।  टाइगर रिजर्व में पड़ने वाले इस जलप्रपात के आसपास प्राकृतिक खूबसूरती भी बहुत है।  कुछ वन्य जीव देखने मिल जाते है।  लंगूर, लाल मुँह वाले बन्दर, सियार , चीतल , सांभर , नीलगाय आदि गाहे-बगाहे दिख जाते है।  

  
पांडव जलप्रपात का पेनोरमा दृश्य 

                                       






चंद्रशेखर आजाद  

  • पांडव गुफाएं 














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