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शनिवार, 4 अगस्त 2012

इत्तफाक (कविता )

तब बारिश हो रही थी , था शायद सावन का महिना 
जब भीगता देख मुझे , मुस्कुराई थी एक हसीना 
उसकी मुस्कराहट , दिल में हलचल मचा गई 
एक पल में ही न जाने , कितने सपने सजा गई 
पास आते उसके कदमो ने , दिल में उमंग जगाई 
मन ख़ुशी से झूमा , मनो उसके कदमों में दुनिया समाई 
कदम-दर-कदम दिल की धड़कन तेज हो रही थी 
आँखे उसकी कुछ उम्मीदों का बीज बो रही थी 
होंठ मानो उसके कुछ कहने को थे बेताब
इधर हम जागी आँखों से देख रहे थे ख्वाब 
जिन्दगी भीगते-भागते कर गयी मजाक 
पर कैसे मानू  की ये हकीकत थी या इत्तफाक 
  उसकी छुअन  से तन में एक बिजली समाई 
हाथ में राखी लिए बोली , आज रक्षाबंधन है मेरे भाई !!!!

सोमवार, 30 जुलाई 2012

सरदार को एक रुपया भीख दे देना..!

कुछ दोस्त मिलकर डेल्ही घूमने का प्रोग्राम बनाते है और रेलवे
स्टेशन से बहार निकलकर एक टेक्सी किराए पर लेते है , उस
टेक्सी का ड्राइवर बुढ्ढा सरदार था,

यात्रा के दौरान बच्चो को मस्ती सुजती है और
सब दोस्त मिलकर बारी बारी सरदार पर बने
जोक्स को एकदुसरे को सुनाते है

उनका मकसद उस ड्राइवर को चिढाना था . लेकिनवो बुढ्ढा सरदार चिढाना तो दूर पर उनके साथ
हर जोक पर हस रहा था ,
सब साईट सीन को देख बच्चे वापस रेलवे स्टेशन आ जाते है ...और तय
किया किराया उस सरदार को चुकाते है , सरदार
भी वो पैसे ले लेता है , पर हर बच्चे को अपनी और से एक एक
रूपया हाथ में देता है

एक लड़का बोलता है "पाजी हम सुबह से आपकी कोम
पर जोक मार रहे है , आप गुस्स्सा तो दूर पर हर जोक में
हमारे साथ हस रहे थे , और जब ये यात्रा पूरी हो गई आप हर लडके
को प्यार से एक-एक रूपया दे रहे है , ऐसा क्यों ? "

सरदार बोला " बच्चो आप अभी जवान
हो आपका नया खून है आप मस्ती नहीं करोगे तो कौन
करेगा ? लेकिन मेने आपको एक- एक रूपया इस लिए दिया के जब
वापस आप अपने अपने शहर जाओगे तो ये रूपया आप उस सरदार
को दे देना जो रास्ते में भीख मांग रहा हो ,
इस बात
को दो साल हो गए है और जितने लडके डेल्ही घूमने गए थे सब
के पास वो एक रुपये का सिक्का आज भी जेब में
पड़ा है ...उन्हें कोई सरदार भीख
मांगता नहीं  मिला .

 

शनिवार, 31 मार्च 2012

जुगाड़ सिस्टम (हास्य कविता)











एक
अमेरिकी निकला, भारत के सफ़र पर
पर भीड़ भाड़ के कारण , न मिला होटल में अवसर
न जाने कितने होटलों के लगा चुका था, चक्कर
पर हर जगह उसे निराश मिली, हाउसफुल पढ़कर
एक आदमी मिला, बोला मिल जायेगा रूम, तुम्हे जुगाड़ पर
बस इसके लिए तुम्हे खर्च करने होंगे , कुछ और डालर
व्हाट इज जुगाड़ ? इससे कैसे मिलेगा रूम
दिस इज इंडियन सिस्टम, बस तू ख़ुशी से झूम
इस तरह आदमी ने अमेरिकी को दिलाई राहत
पर वो हैरान देख के जुगाड़ की जगमगाहट
उस आदमी ने अमेरिकी को जुगाड़ से दिलाया वापिसी टिकट
पर इस जुगाड़ सिस्टम से था , एक प्रश्न विकट
पहुचते ही अमेरिका, उसने प्रेसिडेंट से संपर्क साधा
इंडिया से जल्द मांगो जुगाड़ सिस्टम, जो दूर करे हर बाधा
अमेरिकी प्रेसिडेंट ने फोम लगाया, तुरत इंडियन प्राइम मिनिस्टर को
बोले क्या है ये जुगाड़ सिस्टम, जो दीवाना बनाये इस मिस्टर को
जल्द से जल्द आप हमें ये जुगाड़ सिस्टम एक्सपोर्ट कीजिये
सॉरी हम मजबूर है, इस बार हमें बक्श दीजिये
पहली बार हमें आपको मनाही करनी पड़ रही है
बस इसी सिस्टम से ही तो, हमारी सरकार चल रही है

आप सभी को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं

orchha gatha

बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)

एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...