१२ सितम्बर को साहित्य अकादमी , मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद् भोपाल तथा हिंदी विभाग , डॉ हरी सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय , सागर द्वारा आयोजित ' पद्माकर समारोह ' काव्यपाठ हुआ . जिसमे कई बड़े कवि-कवियत्रियो के साथ मैंने भी अपनी कवितायेँ पढ़ी . उनमे से एक कविता आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ .
हो रहा भारत निर्माण !
हो रहा भारत निर्माण !
ऐ जी , ओ जी , लो जी , सुनो जी
हम करते रहे जी -जी , वो कर गए 2 जी
महंगाई का चढ़ा पारा , बिगड़ी वतन की हेल्थ
सब मिल के खा गए , खेला ऐसा कामनवेल्थ
दुनिया करे छि-छि , हो कितना भी अपमान
अबे चुप रहो ! हो रहा भारत निर्माण .....
पेट्रोल इतना महंगा , पकड़ो अब टमटम
खी-खी करके , कर गए वे स्पेक्ट्रम
हम मरें भूख , महंगाई, गरीबी , बदहाली से
और वो ख़ामोशी ओढ़े ,कोयले की दलाली से
दाग अच्छे है ! कोयले से भी न टूटा ईमान
अबे चुप रहो ! हो रहा भारत निर्माण .....
कार्टून बनाने पर , मचा दिया कार्टूनों ने बवाल
फिर कैसी ख़ामोशी , कौआ चले हंस की चाल
होते रहे आतंकी हमले , जीते रहे नक्सलवादी
खामोश रहना ही भला , ऐसी मिली आज़ादी
आये चाहे बाढ़ या सूखा , मरते रहे चाहे किसान
अबे चुप रहो ! हो रहा भारत निर्माण .....