विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
शनिवार, 30 अप्रैल 2011
दार्जलिंग के चोर........
दार्जलिंग की खूबसूरत वादियों में
प्रकृति की गोद, बादलों की आबादियों में
शुभ्र धवल कंचनजंघा की चोटी
हिमालय के भाल का मोती
देवदार के लम्बे ऊँचे पहरेदार
पुकारते, आओ बारम्बार
खेलो बादलों के खिलोनो से
प्रकृति के अद्भुत नमूनों से
है मौन निमंत्रण , न कोई शोर
दिल चुरा ले गया, दार्जलिंग का
हिमालय की खूबसूरत चोटियों में से एक कंचनजंघा जो दार्जलिंग से बड़ी ही ख़ूबसूरती से दिखाई देती है। सचमुच अद्भुत अनुभव .....बादलो के बीच गुजरना ..............ऊँचे पहाड़ो की सुन्दर सर्पीली राहों से चाय के बागानों को निहारना .........
जरा सोचिये आप अपने होटल के कमरे में खिड़की खोले बैठे हो और ....
तभी कोई बादल चोरो की तरह आपके कमरे में आये और तब....
आपकी ख़ुशी की सीमा न रहेगी .... ये बादल आपका सचमुच दिल चुरा ले जायेगा ......
सुबह सुबह जब आप टाईगर हिल से जब सूर्योदय होते देखेंगे तो सब भूल जायेंगे .............बादलो के ऊपर टाईगर हिल से आप जब सूर्योदय के समय जब दूर हिमाच्छादित कंचनजंघा पर नजर डालेंगे तो ....मनो स्वर्ग का अनुभव होगा ..... तब ऐसा लगेगा की इस नज़ारे को हमेशा के लिए आँखों में कैद कर लें .
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