गाँधी के बहाने
दुनिया के तराने
लोग चले भुनाने
कुछ भोले , कुछ सयाने
थरूर- छुट्टी बंद हो !
मोंट-ब्लेक - महंगा पेन हो !
जो अहिंसा के लिए मरा
वो हिंसा की जड़ नोट पे छपा
जब बिग अपना काम हो
तो बनाने गाँधी का नाम हो
हाड़ मांस पे आधी धोती है
वही राजनेताओ की बपौती है
हर शहर में उसके नाम पे सड़के
तीन दिन के लिए हर नेता फडके
अब बेटा सगे बाप को नही पूछता
तो कौन राष्ट्र पिता को पूजता ?
बस दिखाने को कर देते रस्म अदायगी
जाने कब हमें शर्म आएगी ?
जब जिन्दा था वो महात्मा तो अपनों ने ही मार दिया
और हमने तोडके उसके उसपे कितना उपकार किया ?
अब गाँधी, तवा है ! अपनी अपनी रोटी सेंक लो
जब रोटी सिक जाए तो गाँधी को फेंक दो !!
प्रिय मित्रो , मेरा सौभाग्य समझ्यिये की मैं भी गाँधी और शास्त्री की तरह २ अक्तूबर को पैदा हुआ हूँ। मगर आज मुझे बड़ा दुःख होता है की लोग गाँधी को अपने स्वार्थ को साधने के लिए इस्तेमाल कर रहे है ! और शास्त्री जी जैसे महँ नेताओ को तो आजकल अखबार और मीडिया भी अब तबज्जो नही देता । बड़ी शर्म की बात है ! पर क्या करे हम तो मूलतः बे-शर्म है ही ! अगर हमें शर्म आती तो इतहास में हमारे ऊपर इतने लोगो ने शासन किया होता ?
जिनको शर्म आई वो लड़े और मरे हमने कुछ दिन याद किया और फ़िर सकूली किताबो में छपकर बे-शर्म हो गये । दोस्तों माफ़ करना अगर आप की भावनाए आहात हो रही हो तो ....? मैं कुछ सच्चाई बयां कर रहा हूँ । पर क्या करना किसी को कोई पचासक साल पहले कुच्छ लोगो ने लड़-मर कर देश को आजाद कराया ? हम तो बे-शर्म है ही ! अगर आप को कुछ अपने दिल या मन में कुछ महसूस हो रहा हो तो मुझे जरुर बताये
बकौल दुष्यंत कुमार -
तमाशा खड़ा करना मेरा मकसद नही , बस तस्वीर बदलनी चाहिए
जो आग मेरे सीने में है , हर दिल में जलनी चाहिए .........
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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bahut sahi kaha apne .......... badhai !!
जवाब देंहटाएंmukesh ji ,
जवाब देंहटाएंnamaskar
bahut hi acchi post , ek dum saarthak .. man ko choo gayi .. gandhiji , to nahi rahe , bus unke aadarsho par chalne ka dhindhora peetha jaa raha hai ...
aapko janmdin ki badhai [ deri se ]
is post ke liye meri badhai sweekar kare..
regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com