
जय हो ,
बहुत सालों बाद आज सावन जमकर बरसा
जाने कब से इसके लिए था मन तरसा
रिम झिम सी फुहारों में
भीगी भीगी सी बहारो में
फिर भीगा सा कोई याद आया
मन में फिर वो सावन समाया
फिर दिल भीग गया उसकी यादो में
खुशबु सावन की बसी उसके वादों में
आज फिर घटाओं ने उसकी याद दिलाई
आज फिर से वही खुमारी छाई
जम के बरसो सावन
आज फिर याद आया साजन !