बिन नौकरी सब सून ॥!!
मैं पढा लिखा बेरोजगार
ढूंढ नौकरी हो गया लाचार
सोचा चलो , करलू भंगवान पर विश्वाश
शायद दिलवा दे कोई नौकरी ख़ास
तन मन से जुट गया करने उनकी तपस्या
दिन गुजरा गुजरी पूर्णिमा , आ गयी अमावस्या
अन्धकार का था घनघोर प्रदर्शन
इतने में प्रकाश चमका दिए भगवन ने दर्शन
बोले - वत्स ! मांग लो अपने मन का वरदान
ज्ञान , भक्ती मांग कार्लो अपना कल्याण
मैंने कहा प्रभु, ज्ञान भक्ती से पेट नही भरता
वह इन्सान, इन्सान नही जो नौकरी नही करता
बिन नौकरी सब सून , आते नही विवाह प्रस्ताव
मैं क्या करू अब आप ही दे कोई सुझाव
प्रभु- चाहे जितना मांग लो ज्ञान और भक्ति
पर इस बेरोजगारी में रोजगार देने की नही है मेरी शक्ति
ये तेरी ही नही मेरी भी परेशानी है
पत्नी कहे - कुछ करते क्यो नही ? क्या बैठे-२ रोटी खानी है
गया जमाना जब बैठे -२ रोटी मिल जाती
बिन नौकरी तो अब पत्नी भी पास नही आती
वत्स !! अगर कही हो नौकरी की भरती
तो अपने साथ लगा देना मेरी भी अर्जी !!
आपका ही मुकेश पांडे 'चंदन'
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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नहीं भाई ज्ञान मांग लेते और बाबा बनकर मजे कर रहे होते इस नौकरी में कुछ भी नहीं रखा है। हम कितने ही बड़े पैकेज की बात कर लें पर बाबागिरी का धंधा बड़ा ही चोखा है जितना सालभर का नौकरी वाले का पैकेज होता है उतना तो वो केवल एक दिन में कमा लेते हैं।
जवाब देंहटाएंवत्स !! अगर कही हो नौकरी की भरती
जवाब देंहटाएंतो अपने साथ लगा देना मेरी भी अर्जी !!
-पहले अपनी तो देखें फिर आपकी भी देख लेंगे. :)