नमस्कार दोस्तों,
देर के लिए क्षमा चाहता हूँ। दरअसल मैं इन दिनों में बिहार ,बंगाल, उडीसा और आन्ध्र परदेस की सैर पर था । इन राज्यों की सैर में मैंने अतुल्य भारत की असली छवि देखि । जहाँ आंध्र की चमक देखि वही उडीसा की उधासी भी आँखों में आंसू लेन के लिए काफी थी । बिहार में बदलाव की आहात सुनी तो आमार सोनार बांगला भी देखा । चिल्का झील की विराटता देखि विशाखापत्तनम में जीवन में पहली बार सागर दर्शन भी किया । दोस्तों , अभी वरिश का मौसम चल रहा है , लेकिन देश के २५० से ज्यादा जिलो में सूखा फैला है । जमीन में पड़ी दरारों को देख कर किसानो की छाती फट पड़ने को आतुर है , आँखों में पानी हाई मगर आसमान सूना है । ये कहर कम नही था , रही सही कसार महंगाई ने पुरी कर दी । दाल १०० रूपये किलो बिकी तो शक्कर ४० रूपये किलो । देश के कुछ इलाको में पानी इतना गिरा की sailab सब कुछ भा ले gya । बिहार के ३८ में से 26 सूखा grast है तो baaki १२ baadhgrast है । हाँ वरिश पर मेरी कविता "pahli fuhaar " hind yugm के july के padcast kvi sammelan में jarur सुने ।
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विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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सही कहा .. विज्ञान किसानों का हमदर्द न बन सका !!!
जवाब देंहटाएंbandhu thoda aur vistar se likhte..kuch tasveerein lagate to khoob maza aata
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