नमस्कार मित्रो,
पिछले दिनों १३ औगस्त को डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (म०प्र०) के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी के जाने माने कवि, राजनयिक और पत्रकार डॉ अशोक वाजपेयी जी का काव्य पाठ aआयोजित किया गया था । पर हाय रे विडम्बना और विश्वविद्यालय प्रशासन की व्यवस्था की इतने नामी कवि का काव्य पाठ और उसकी सूचना तक आम लोगो को नही दी गयी । परिणामस्वरूप कार्यक्रम में जब डॉ वाजपेयी अपने जन्मस्थान में आयोजित इस कार्यक्रम में अपना काव्य पाठ कर रहे थे ,तो विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती हाल में बमुश्किल पचास लोग भी नही थे । अपने जन्म स्थान पर इतने नामी कवि के काव्य पाठ पर दिल रो आया , की विश्वविद्यालय प्रशासन ने अगर सिर्फ़ स्थानीय समाचार पत्रों में छोटी सी ख़बर भी दे दी होती तो डॉ वाजपेयी के हजारो प्रशंशक टूट पड़ते । डॉ वाजपेयी ने कार्यक्रम में अपनी १९ कविताये और सागर (म० प्र० ) शहर के अपने अनुभव सुनाये । पर उनकी आँखों में कही नामी भी नज़र आई कि जिस शहर कि तारीफ वो अपने हर कार्यक्रम में बड़ी शिद्दत के साथ करते है , उस शहर को हर जगह बड़े गर्व के साथ अपना जन्म स्थान बताते है । उस शहर ने उनके साथ इतनी बेरूखी दिखाई । पर मैं अपनी इस पोस्ट के माध्यम से डॉ अशोक वाजपेयी जी को ये बताना चाहता हूँ कि बेरूखी सागर वासियो ने नही बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने की , वरना शहर के लोग अब भी आप को अपने शहर का गौरव मानते है । आज भी सागर वासी बड़े फक्र से बताते है , की डॉ अशोक वाजपेयी जी सागर शहर की देन है ।
बड़े शर्म की बात है की प्रशासन की गलतियाँ लोगो को भुगतनी पड़ती है , आज भी मुझ जैसे सैकडो लोगो को इस बात का रंज है , की हम डॉ वाजपेयी जी का काव्यपाठ नही सुन पाए ।
खैर दर्द सहने के लिए है ,मुल्क का आम इंसान
खुशियाँ तो खास लोगो की होती है , शान !
जब दर्द की बात चली है तो , आज आपसे कुछ दर्द और बाँटना चाहता हूँ। घबराइये मत जनाब मैं अपनी निजी समस्याए लेकर नही बैठ रहा हूँ । अमा मियां दुनिया में वैसे क्या कम पिरोब्लम है , जो मैं आपको अपनी पिरोब्लम में उलझाऊ । खामखा मेरी टाइम पास करने की आदत तो है , नही ! पिछली दो पोस्टो से मेरे कुछ पाठक मित्रो ने आदेश किया की जनाब थोडी बड़ी पोस्ट लिखा करो और कुछ फोटो शोतो भी लगाया करो !
अब मैं आपको बताऊ की पहली बात समय आभाव की है । और दूसरी ये की मैं ठहरा नया नया बिलागर !! मुझे अभी भी खुदा कसम अपनी पोस्ट में फोटू लगाना नही आया , एक बार उड़नतश्तरी वाले समीर जी से पूछा था , मगर उनकी बताई बातें मेरे भेजे के ऊपर से निकल गई , इसमे समीर का कोई दोषः नही , मैं ही अल्पबुद्धि जो ठहरा । समीर जी तो बड़े परोपकारी है , मेरी बुद्धि में जरा तकनिकी बातें देर से आती है , इसलिए चाहकर भी मैं अपनी पोस्ट में फोटू नही दे पा रहा हूँ । अगर आप में कोई सज्जन जरा सरल भाषा में मेरी मदद करे तो उसका मैं आभारी रहूँगा । लो मियाँ मुआफ करना मैं नादाँ अपनी ही लेके बैठ गया ।
अभी आज के अखबार में एक अच्छी ख़बर पढने को मिली की , अपने पड़ोसी देश भूटान में स्थानीय चुनावो में उम्मेद्वारो की न केवल लिखित परीक्षा होगी , और उनका मौखिक साक्षात्कार भी होगा जिसमे में उनसे प्रशासनिक, राजनेतिक और सामाजिक सवाल पूछे जायेंगे !
इश्वर से प्राथना कीजिये की हमारे नेताओ को सद्बुद्धि दे ताकि वे भी कोई इसी तरह का कानून बनाये ! अरे भाई जब पाकिस्तान में भी जब चुनाव लड़ने की योग्यता स्नातक है , तो हम यार इतने गये गुजरे नही है ?! खैर अपनी तो हमें मालूम है , नेताओ की खुदा जाने ? क्यो आप ही कुछ बोले ?
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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मित्र यदि कभी मुलाकात हो तो मै आपको ब्लॉग में फोटो लगाना आदि बता सकता हूँ कोई कठिन नहीं है .
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