माँ हरसिद्धि |
नमस्कार मित्रो ,
अभी पुरे देश में शारदीय नवरात्र बड़े धूम - धाम से मनाया जा रहा है , हिन्दू लोग माँ दुर्गा की उपासना में रत है . आज मैं आप को बुंदेलखंड की एक प्रसिद्द देवी स्थल " माँ हरसिद्धि , रानगिर " के बारे में बताना चाहता हूँ .
माँ हरसिद्धि स्वयं प्रकट होने के साथ ही , सभी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए विख्यात है . मनोकामना पूर्ण करने के कारन ही उन्हें हरसिद्धि कहा जाता है . मान्यता है कि माँ हरसिद्धि एक दिन में तीन रूप में लोगो दर्शन देती है . सुबह बालिका के रूप में , दोपहर में युवती के रूप में और शाम के समय वृद्धा के रूप में माँ हरसिद्धि की प्रतिमा से दर्शन होते है .वर्तमान में नया भव्य मंदिर बना है , जबकि इसके पूर्व एक किले (गढ़ ) के रूप में था .
माँ हरसिद्धि मंदिर |
एक जनश्रुति के अनुसार - पहले नवरात्री में ब्रम्ह मुहूर्त में बाघ माँ के दर्शन करने आता था और बिना किसी को हानि पहुचाये जंगल लौट जाता था . हालाँकि अब न तो घना जंगल बचा है , और न ही जंगल में बाघ बचे है . बारहमासी सड़क बन जाने से जंगल तेजी कटा . मैं जब बचपन में जाता था , और अब जाने पर फर्क साफ़ नज़र आता है . जंगल वन्यजीवों के नाम पर बन्दर, लंगूर और सियार ही दिखते है. हाँ पक्षियों के कुछ दुर्लभ प्रजातियाँ थोड़े प्रयास से जरुर दिख जाती है . मंदिर के किनारे ही देहार नदी का विहंगम तट है . वैसे तो ये एक छोटी नदी है , लेकिन अद्भुत है , इसके किनारों पर जब आप बड़ी-बड़ी नदी द्वारा काटी गयी चट्टानों को देखते है , तो लगता है , कि शायद चट्टानों को भी इसने हार दी , इसीलिए इसे " दे हार " कहा गया . नदी के दोनों किनारों पर बंदरों और लंगूरों की अठखेलियाँ मन मोह लेती है . गौर करने की बात है , कि यहाँ के बन्दर शैतान नहीं है .
नदी के दुसरे ओर घने जंगल में " बूढी रानगिर " देवी का मंदिर है . जो स्टाप डेम पर करके जाया जाता है . जंगल में और भीतर जाने पर " गौरी दांत " नामक देवी स्थल है . कहा जाता है , कि भगवान् शिव जब माता सती का शव लेकर विलाप कर रहे थे , और भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से शव के ५१ टुकड़े गिरे , जहाँ बाद में ५१ शक्ति पीठो की स्थापना हुई . उन्ही में से यह भी एक स्थल है , यहाँ सती का दांत गिरा था , इसलिए इसे गौरिदांत कहा जाता है . हालाँकि यह स्थान दुर्गम होने के कारण सामान्य जन की पहुच से दूर है . इस स्थान पर प्रागैतिहासिक काल के साक्ष्य भी है . जो इसकी प्राचीनता का प्रमाण है .
दर्शनार्थियों की भीड़ |
तीन रूप में दर्शन देने वाली माँ हरसिद्धि की बेहतरीन जानकारी के लिये आभार,,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम
मां के मंदिर का परिचय देने के लिए आभार। देखिए कब जाना होता है बुंदेलखंड।
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक जानकारी
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