मित्रो ,
क्षमा सहित नमस्कार ,
आजकल मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी में व्यस्त होने के कारण ब्लॉग जगत को समय नही दे पा रहा हूँ . परीक्षा के नए पैटर्न में प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्न पत्र में मैंने संचार कौशल टॉपिक के अंतर्गत देहभाषा (बॉडी लेङ्गुएज ) के बारे में कई रोचक बातें पढ़ी . जो कि हमारे दैनिक जीवन में भी बहुत उपयोगी है . तो मैंने सोचा क्यों न इसे आप सभी से बांटा जाये . हैं न ?
शाब्दिक भाषा के विकास के पूर्व मानव अपने विचारों एवं भावनाओं का विनिमय संकेतों अथवा देहभाषा के माध्यम से ही करता था .यह भाषा अचेतन मन को समझने हेतु अत्यंत उपयोगी होती है . अगर हम देहभाषा को समझना जान ले , तो लोगों की उन बातों को भी जान सकते है , जो वो हमें बताना नही चाहते है. या फिर हमसे कोई बात छुपा रहे हो .हालाँकि कुछ चतुर और धूर्त लोग देहभाषा के माध्यम से बेबकूफ बना सकते है . मगर सामान्यतः हम देहभाषा से लोगों के मनोभावों को समझ सकते है .
तो चलिए जानते है , कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-
- अँगुलियों को मोड़ना या चटकाना व्यक्ति के अंतर्द्वंद को बताता है .
- हथेलियों को रगड़ना (जब ये ठण्ड के कारण नही हो ) प्रतीक्षा या शुभ फल की आशा का संकेत है .
- जब व्यक्ति अपने हाथ टेबल पर रखकर उनकी संयुक्त मुट्ठी बनाये और इस पर पर्याप्त जोर रखे तो यह स्थिति विचार- भिन्नता का सूचक है . इतना ही नही ऐसी स्थिति व्यक्ति अपने विचारो को व्यक्त करने के लिए व्यग्र रहता है .
- जब बांहों को छाती के इर्द-गिर्द बांधना नकाराक्त्मकता , बोझिलता व् उदासीनता का परिचायक है . कभी-कभी व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थिति के कारण जब व्यक्ति अचानक सोचने हेतु विवश होता है , तो भी ऐसा करता है .
- यदि किसी व्यक्ति का चेहरा सामान्य अवस्था में है तथा चेहरा मुड़ा हुआ है , तो यह मानिये कि वह आपसे ऊब चुका है.
- यदि व्यक्ति का चेहरा सामान्य अवस्था में है , उसके ओंठों पर कृत्रिम मुस्कान नही है , और ठुड्डी आगे की ओर है , तो वह आपकी उपस्थिति को महत्व दे रहा है
- व्यक्ति के आयताकार या चौड़ी मुस्कान का अर्थ होता है , कि वह अपनी इच्छा के विपरीत न चाहते हुए भी विन्रमता प्रदर्शित करता है .इस मुस्कान में ओंठ ऊपरी व् निचले दांतों पर आयताकार रूप लेते हुए खिंच जाते है . प्रायः ऐसा किसी अधिकारी के कार्यालय भ्रमण के दौरान उसके अधिनस्थो द्वारा किया जाता है.
- आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति आँखों में आँखें डालकर बात करता है .ऐसा व्यक्ति वार्ता के दौरान पलकें भी कम झपकाता है .
-कम आत्मविश्वास वाले व्यक्ति बात करते समय अधिक देर तक आँखे नही मिला पाते है , जो लोग कुछ छुपाना चाहते है , वे भी आँखे मिलाने से कतराते है . (हालाँकि कुछ लोग शर्म के कारण भी आँखे नही मिलाते )
- ऊपर की ओर उठी हुई भौहें व्यक्ति के अविश्वास और ईर्ष्या को प्रकट करती है .
-जो लोग अपनी भुजाओं को तेजी से झुलाते हुए ( परेड करते सैनिको जैसे ) वे अपने लक्ष्य को यथाशीघ्र प्राप्त करने वाले होते है .
- जिन लोगो का स्वाभाव अपनी जेबों में हाथ डालकर चलने का होता है , भले ही सर्दी का मौसम न हो, वे सामान्यतः विचित्र व् रहस्यमय स्वाभाव वाले होते है . ये मौका पड़ने पर शैतान का भी पक्ष ले सकते है . इनका प्रयास हमेशा दूसरों को झुकाने का होता है .
- खुले हुए हाथो के द्वारा स्पष्टता के भाव की अभिव्यक्ति होती है . खुले हुए हाथो के साथ कंधे उचकाते हुए दोनों हथेलियों को आगे कर देना यह भाव व्यक्त करता है , की - " तुम मेरा क्या कर लोगे "
- भुजाओं को अपने सीने पर क्रॉस के रूप में बांध लेना एक सुरक्षात्मक भाव भंगिमा है . इसके अतिरिक्त जब कोई व्यक्ति किसी मांग या निवेदन को स्वीकार नही करना चाहता , तब भी वह अपने हाथों की कैंची के रूप में सीने पर बांध लेता है .
- गाल पर हाथ रख कर बैठने की मुद्रा किसी विचार में लीन होना दर्शाता है
- जब कोई व्यक्ति कोई ऐसी बात सुनता है , जिसमे उसकी रूचि होती है , तो वह अपने सर को थोडा ऊपर उठा लेता है .
- यदि श्रोता का सर तिरछे आकार में झुका हुआ नही है , तो इसका मतलब वे सुनने में रूचि नही ले रहे है .
- यदि कोई व्यक्ति (स्वाभाव वश नही ) बड़ी कोमलता से अपना चश्मा उतारकर सावधानीपूर्वक उसका लेंस साफ़ करता है (यदि लेंस पहले से ही साफ़ है ) , तो वह टाल-मटोल करने के भाव को प्रकट करता है . ऐसा व्यक्ति अधिक स्पष्टीकरण मांगने या प्रश्न पूछने के लिए समय चाहता है .
- आँखों को बंद कर नाक के सिरे को दबाने का अर्थ है , कि अंतिम निर्णय पर गहन विचार चल रहा है .
- नाक को धीरे से छूना या मलना ( यदि जुकाम न हो तो ) अपनी अनिच्छा , अरुचि , नापसंदगी या नकारात्मकता को व्यक्त करता है .
-कोट के बटन खोलकर बैठने की भंगिमा यह प्रकट करती है , कि व्यक्ति आपके विचारों को ध्यानपूर्वक सुन रहा है .
- श्रोता का तिरछा सर यह प्रकट करता है , कि वह वक्ता के शब्दों में गहन रूचि ले रहा है .
- अपने हाथों को कस कर और एक-दुसरे से जकड़कर बैठना संदेह की मुद्रा है .
- अपनी तर्जनी ( अंगूठे के पास वाली अंगुली ) उठाकर बात करने वाले व्यक्ति महत्वाकांक्षी होते है .
- अपनी वरिष्ठता या प्रधानता का प्रदर्शन करते समय व्यक्ति कुछ तन जाता है .
- अपने दोनों हाथों को पीछे करके या पकड़कर चलने का अर्थ है , कि व्यक्ति परेशां या तनावग्रस्त है .
- बाल पेन का खोलना या बंद करना - व्यक्ति की व्याकुलता का परिचायक होता है. इसी प्रकार हथेली पर सर टिकाकर आँखे अधमुंधी कर लेना भी ऊब या उदासीनता का प्रतीक है .
इन तथ्यों का दैनिक जीवन में बहुत उपयोग है . आपको ये पोस्ट कैसी लगी ..जरुर बताएं ...ताकि मैं इसी तरह और भी महत्वपूर्ण जानकारियां लाता रहूँ .
जय - जय
कैसा रहा २०१२ : जानिए महत्वपूर्ण तथ्य
क्षमा सहित नमस्कार ,
आजकल मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी में व्यस्त होने के कारण ब्लॉग जगत को समय नही दे पा रहा हूँ . परीक्षा के नए पैटर्न में प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्न पत्र में मैंने संचार कौशल टॉपिक के अंतर्गत देहभाषा (बॉडी लेङ्गुएज ) के बारे में कई रोचक बातें पढ़ी . जो कि हमारे दैनिक जीवन में भी बहुत उपयोगी है . तो मैंने सोचा क्यों न इसे आप सभी से बांटा जाये . हैं न ?
शाब्दिक भाषा के विकास के पूर्व मानव अपने विचारों एवं भावनाओं का विनिमय संकेतों अथवा देहभाषा के माध्यम से ही करता था .यह भाषा अचेतन मन को समझने हेतु अत्यंत उपयोगी होती है . अगर हम देहभाषा को समझना जान ले , तो लोगों की उन बातों को भी जान सकते है , जो वो हमें बताना नही चाहते है. या फिर हमसे कोई बात छुपा रहे हो .हालाँकि कुछ चतुर और धूर्त लोग देहभाषा के माध्यम से बेबकूफ बना सकते है . मगर सामान्यतः हम देहभाषा से लोगों के मनोभावों को समझ सकते है .
तो चलिए जानते है , कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-
- अँगुलियों को मोड़ना या चटकाना व्यक्ति के अंतर्द्वंद को बताता है .
- हथेलियों को रगड़ना (जब ये ठण्ड के कारण नही हो ) प्रतीक्षा या शुभ फल की आशा का संकेत है .
- जब व्यक्ति अपने हाथ टेबल पर रखकर उनकी संयुक्त मुट्ठी बनाये और इस पर पर्याप्त जोर रखे तो यह स्थिति विचार- भिन्नता का सूचक है . इतना ही नही ऐसी स्थिति व्यक्ति अपने विचारो को व्यक्त करने के लिए व्यग्र रहता है .
- जब बांहों को छाती के इर्द-गिर्द बांधना नकाराक्त्मकता , बोझिलता व् उदासीनता का परिचायक है . कभी-कभी व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थिति के कारण जब व्यक्ति अचानक सोचने हेतु विवश होता है , तो भी ऐसा करता है .
- यदि किसी व्यक्ति का चेहरा सामान्य अवस्था में है तथा चेहरा मुड़ा हुआ है , तो यह मानिये कि वह आपसे ऊब चुका है.
- यदि व्यक्ति का चेहरा सामान्य अवस्था में है , उसके ओंठों पर कृत्रिम मुस्कान नही है , और ठुड्डी आगे की ओर है , तो वह आपकी उपस्थिति को महत्व दे रहा है
- व्यक्ति के आयताकार या चौड़ी मुस्कान का अर्थ होता है , कि वह अपनी इच्छा के विपरीत न चाहते हुए भी विन्रमता प्रदर्शित करता है .इस मुस्कान में ओंठ ऊपरी व् निचले दांतों पर आयताकार रूप लेते हुए खिंच जाते है . प्रायः ऐसा किसी अधिकारी के कार्यालय भ्रमण के दौरान उसके अधिनस्थो द्वारा किया जाता है.
- आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति आँखों में आँखें डालकर बात करता है .ऐसा व्यक्ति वार्ता के दौरान पलकें भी कम झपकाता है .
-कम आत्मविश्वास वाले व्यक्ति बात करते समय अधिक देर तक आँखे नही मिला पाते है , जो लोग कुछ छुपाना चाहते है , वे भी आँखे मिलाने से कतराते है . (हालाँकि कुछ लोग शर्म के कारण भी आँखे नही मिलाते )
- ऊपर की ओर उठी हुई भौहें व्यक्ति के अविश्वास और ईर्ष्या को प्रकट करती है .
-जो लोग अपनी भुजाओं को तेजी से झुलाते हुए ( परेड करते सैनिको जैसे ) वे अपने लक्ष्य को यथाशीघ्र प्राप्त करने वाले होते है .
- जिन लोगो का स्वाभाव अपनी जेबों में हाथ डालकर चलने का होता है , भले ही सर्दी का मौसम न हो, वे सामान्यतः विचित्र व् रहस्यमय स्वाभाव वाले होते है . ये मौका पड़ने पर शैतान का भी पक्ष ले सकते है . इनका प्रयास हमेशा दूसरों को झुकाने का होता है .
- खुले हुए हाथो के द्वारा स्पष्टता के भाव की अभिव्यक्ति होती है . खुले हुए हाथो के साथ कंधे उचकाते हुए दोनों हथेलियों को आगे कर देना यह भाव व्यक्त करता है , की - " तुम मेरा क्या कर लोगे "
- भुजाओं को अपने सीने पर क्रॉस के रूप में बांध लेना एक सुरक्षात्मक भाव भंगिमा है . इसके अतिरिक्त जब कोई व्यक्ति किसी मांग या निवेदन को स्वीकार नही करना चाहता , तब भी वह अपने हाथों की कैंची के रूप में सीने पर बांध लेता है .
- गाल पर हाथ रख कर बैठने की मुद्रा किसी विचार में लीन होना दर्शाता है
- जब कोई व्यक्ति कोई ऐसी बात सुनता है , जिसमे उसकी रूचि होती है , तो वह अपने सर को थोडा ऊपर उठा लेता है .
- यदि श्रोता का सर तिरछे आकार में झुका हुआ नही है , तो इसका मतलब वे सुनने में रूचि नही ले रहे है .
- यदि कोई व्यक्ति (स्वाभाव वश नही ) बड़ी कोमलता से अपना चश्मा उतारकर सावधानीपूर्वक उसका लेंस साफ़ करता है (यदि लेंस पहले से ही साफ़ है ) , तो वह टाल-मटोल करने के भाव को प्रकट करता है . ऐसा व्यक्ति अधिक स्पष्टीकरण मांगने या प्रश्न पूछने के लिए समय चाहता है .
- आँखों को बंद कर नाक के सिरे को दबाने का अर्थ है , कि अंतिम निर्णय पर गहन विचार चल रहा है .
- नाक को धीरे से छूना या मलना ( यदि जुकाम न हो तो ) अपनी अनिच्छा , अरुचि , नापसंदगी या नकारात्मकता को व्यक्त करता है .
-कोट के बटन खोलकर बैठने की भंगिमा यह प्रकट करती है , कि व्यक्ति आपके विचारों को ध्यानपूर्वक सुन रहा है .
- श्रोता का तिरछा सर यह प्रकट करता है , कि वह वक्ता के शब्दों में गहन रूचि ले रहा है .
- अपने हाथों को कस कर और एक-दुसरे से जकड़कर बैठना संदेह की मुद्रा है .
- अपनी तर्जनी ( अंगूठे के पास वाली अंगुली ) उठाकर बात करने वाले व्यक्ति महत्वाकांक्षी होते है .
- अपनी वरिष्ठता या प्रधानता का प्रदर्शन करते समय व्यक्ति कुछ तन जाता है .
- अपने दोनों हाथों को पीछे करके या पकड़कर चलने का अर्थ है , कि व्यक्ति परेशां या तनावग्रस्त है .
- बाल पेन का खोलना या बंद करना - व्यक्ति की व्याकुलता का परिचायक होता है. इसी प्रकार हथेली पर सर टिकाकर आँखे अधमुंधी कर लेना भी ऊब या उदासीनता का प्रतीक है .
इन तथ्यों का दैनिक जीवन में बहुत उपयोग है . आपको ये पोस्ट कैसी लगी ..जरुर बताएं ...ताकि मैं इसी तरह और भी महत्वपूर्ण जानकारियां लाता रहूँ .
जय - जय
कैसा रहा २०१२ : जानिए महत्वपूर्ण तथ्य
बॉडी लेङ्गुएज से मनोभाव जानने की बेहतरीन जानकारी,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: वजूद,
सुन्दर लेखन !!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंmind blowing post...
जवाब देंहटाएंआपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन - आर्यभट्ट जयंती - गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, वैज्ञानिक (४७६-५५० ईस्वी ) पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंAp ke post ko padh ke bhot achha laga
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