मित्रो आप सभी को भारतीय बाल दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें.
मेरे ख्याल से आज आपने अपने फेसबुक , ट्विटर और शोशल मीडिया के मित्रो को शुभकामनयें भेज कर बाल दिवस मना लिया होगा . है न ?
पर कभी -कभी मन में कई सवाल आते है , सोचा क्यों न आप से ही साझा कर लिया जाये ?
शायद कुछ के जवाब ही मिल जायेंगे ?
हम बाल दिवस को बच्चो के दिन के रूप में मानते है , तो क्या आज हमने बच्चों को बच्चा रहने दिया है ?
दिन भर स्कूली बस्ते का बोझ लादने के बाद कोचिंग , ट्यूशन , म्यूजिक क्लास , स्पोर्ट क्लास , कंप्यूटर , विडिओ गेम्स , मोबाइल के बीच क्या उनका बचपना बचा है ?
और स्कूलों में भी कौन सी शिक्षा ....सिर्फ नौकरी या व्यवसाय के लिए ?
हम उन्हें नैतिक शिक्षा , संस्कार दे पा रहे है ?
क्या इस गलाकाट प्रतियोगी दौर में उन्हें किसी असहाय , बेसहारा या जरूरतमंद की मदद करना सिखा पा रहे है ?
टेलीविज़न और इंटरनेट के बीच माँ की लोरी और थपकियाँ कहाँ है ?
बड़ो का सम्मान , पड़ौसी धर्म, परोपकार , विनम्रता , सहनशीलता , आदर्श इस पीढ़ी के पास पहुचें है ?
तकनीक के तनाव में प्यार की छाँव उन्हें नसीब है ?
ग्लोबल वर्ल्ड में माँ-बाप की गलबहियां मिल पा रही है ?
जिंदगी की जद्दोजहद में जिंदादिली उन्हें मिल पायी है ?
वर्चुयल रिलेशन और सोशल नेटवर्किंग के जाल में रिश्ते-नाते , दादा-दादी , नाना -नानी , मामा-मामी, चाचा-चाची का दुलार मिला है ?
ये तो हुए हमारे अपने बच्चों के लिए अब कुछ बच्चे ऐसे भी है , जिनका जन्म
लेना ही उनके लिए अभिशाप से कम नही है . ऐसे बच्चों के लिए तो जिंदगी ही
सबसे बड़ा सवाल है . उनकी दुनिया में सबसे बड़ा उद्देश्श्य ही रोटी है . ऐसे
ही बच्चो की कुछ तसवीरें आपके लिए लाया हूँ ....
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हमारी ये जंजीरें कब टूटेंगी ...??? |
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क्या आपका ये कचरा ही हमारा भविष्य होगा ? |
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क्या सारा बोझ हम ही उठाएंगे ? |
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मुझे कब भरपेट रोटी नसीब होगी ? |
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कब हम अपने आंसू पोंछ पाएंगे ? |
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हम कब आपकी दुनिया में शामिल होंगे ....? |
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हमें भिक्षा नही शिक्षा कब मिलेगी ? |
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कब हमारे उज्जवल भविष्य के नींव की ईंट रखी जायेगी ? |
इसलिए नही कि आप बस उन्हें देखे ...बल्कि उनके लिए सोचे ...कुछ करे ...मैं ये नही कहूंगा कि आप ऐसे बच्चों को गोद ले या उनका खर्च उठाएं ....या उनकी पढाई का खर्च उठाएं ...बल्कि जब कभी ऐसे बच्चे आपको नज़र आयें तो उनकी तरफ हिकारत कि नज़र से न देखे ..बल्कि प्यार से देखे ...वो भी हमारी तरह इंसान है . उनके साथ इंसानों के जैसा ही बर्ताव करे ...और हो सके तो उनकी मदद करे (पैसे की नही ) ...ऐसी मदद जो उनके जीवन में खुशियां ला सकें ...उनको अपने पैरो पर खड़ा कर सके ...उन्हें गलत राहों पर जेन को मजबूर न करें .....वो भी एक इंसानी जिंदगी फक्र से जी सके .....और इस दुनिया में पैदा होने के लिए ऊपर वाले का शुक्रिया अदा कर सकें
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हमें भी हक़ है जीने का .....है न ! |
निःशब्द हूँ...
जवाब देंहटाएंऐसी बातें निराश करती हैं मगर बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए प्रयास किये जाते रहना चाहिए....
शुभकामनाएं...
अनु
shukriya anu ji
जवाब देंहटाएंसच्चा प्रयास तो तभी है .. सब को बराबर का हक मिले ...
जवाब देंहटाएंSir mene aapke savi bloks pade bhut gyan prapt hua aur achhe v lage...
हटाएंSir mene aapke savi bloks pade bhut gyan prapt hua aur achhe v lage...
हटाएंशुक्रिया सविता जी
हटाएंसही है ...दिगंबर जी
हटाएंbahut hi badhiya swal hai aur bahut jaruri bhi.......
जवाब देंहटाएंशुचिता जी इसी तरह स्नेह बनाये रखे
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 14 नवम्बर 2015 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!