शनिवार, 25 अप्रैल 2009

वाह रे लोकतंत्र ! कितने जूते ! कितने षद्यन्त्र

नमस्कार दोस्तों ,
आजकल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव यानि आम चुनाव की दौर है । परन्तु धन्य है भारत भाग्य बिधाता ! इस चुनाव में कोई मुद्दा ही नही है । कही जूता चल रहा है , तो कही चप्पल ! बड़े बड़े नामधारी नेता अपने विचार की जगह व्यभिच्चार पर तरजीह दे रहे है । बिपक्ष प्रधान मंत्री को कमजोर बता रहा है तो सत्ता पक्ष कंधार मामले के पीछे पड़ा है । कोई किसी के ऊपर रोड रोलर चलवा रहा है तो कोई किसी को पप्पी दे रहा है । अब न तो कोई नारा है और न ही कोई नेता । नारे की बात करे तो एक पार्टी अपने परिवार वाद की जे हो कर रही है । तो दूसरी पार्टी को जूतों की भय हो । मुद्दे तो गायब ही है बस एक दुसरे पर कीहद उछाले जा रहे है । किसी को देश की फिक्र है ही नही । आम चुनाव में आम आदमी तो बस चुनावी पोस्टर में ही बचा है । आम आदमी के मुद्दे तो गायब ही है , कौन ध्यान दे रही महगांई , भ्रष्टाचार , सड़क , पानी , शिक्षा पर ? एक पार्टी ने तो यंहा तक कह दिया अपने घोषणापत्र में की अगर हम सत्ता में आए तो कंप्यूटर , अंग्रेजी शिक्षा पर रोक लगा देंगे । धन्य है भारत माँ के लाल ! अब आपको सोंचना है की आप किसे चुनते है अपने देश के लिए ? मेरा कहना है की आप अपना वोट जरुर दे मगर सोंच समझ कर । शुक्रिया !!

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