सोमवार, 29 जून 2009

पहली फुहार

मन को भिगो गई पहली फुहार
धरती पर बरस पड़ा, बादलों का प्यार
मेघो से न देखि गई, वसुधा की तपन
तर-बतर करके किया जल अर्पण
रिम झिम बूंदों में, मन मयूर सा नाचा
भीगकर सबने, राग मल्हार बांचा
सूनी आंखे भर आई , ख़त्म हुआ इंतजार
मन को भिगो गई पहली फुहार
किसान काका की आँखों में आई चमक
गरजे बादल , जब हुई बिजली की दमक
पानी नही उनके लिए अमृत बरसा
आओ झूमे ,नाचे, मिलके करे जलसा
पर याद रखना , पानी है जीवन का आधार
कल भी ये बरसे , मत जाने दो इसे बेकार
सभी लोगो को मानसून की पहली वारिश मुबारक हो ! दोस्तों इस बार मानसून जरा देर से आया है अगर हम पानी को न सहेजे तो हो सकता है कल मानसून आए ही न ! अतः सभी लोगो से करबद्ध निवेदन है की इस बार पानी को ज्यादा से ज्यादा जमीन में पहुचने की कोशिश करे । चाहे वो रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो या कोई अन्य तरीका पर अपनी अगली पीढी के लिए पानी बचाए , जल है तो कल है !
- आपका स्नेहिल मुकेश पाण्डेय "चंदन"

5 टिप्‍पणियां:

  1. जल है तो कल है -सुन्दर संदेशा!!

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  2. सूनी आंखे भर आई , ख़त्म हुआ इंतजार
    मन को भिगो गई पहली फुहार
    किसान काका की आँखों में आई चमक
    गरजे बादल , जब हुई बिजली की दमक
    पानी नही उनके लिए अमृत बरसा
    आओ झूमे ,नाचे, मिलके करे जलसा

    वाह....!!!

    मानसून के स्वागत की सुंदर कविता ......!!

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  3. बहुत बढिया रचना है।बधाई।
    इसी लिए हमने छाता पहले ही खरीद लिआ।:))

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी भी बारिश खूबसूरत हैं :-)

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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