सुना है माँ तुम मुझे , जीने के पहले ही मार रही हो
कसूर क्या मेरा लड़की होना , इसलिए नकार रही हो
सच कहती हूँ माँ , आने दो मुझे जीवन में एक बार
न मांगूंगी खेल-खिलौने , न मांगूंगी तुमसे प्यार
रुखी सूखी खाकर पड़ी रहूंगी, मैं एक कोने में
हर बात तुम्हारी मानूंगी , न रखूंगी अधिकार रोने में
न करुँगी जिद तुमसे , जिद से पहले ही क्यों फटकार रही हो
कसू क्या मेरा लड़की होना , इसीलिए नकार रही हो
माँ तुम भी तो लड़की थी, तो समझो मेरा दुःख
न करना मुझे दुलार, फ़िर भी तुम्हे दूंगी सुख
भइया से न लडूंगी , न छिनुंगी उसके खेल खिलौने
मेहनत मैं खूब करुँगी , पुरे करुँगी सपने सलौने
आख़िर क्या मजबूरी है , जो जीने के पहले मार रही हो
कसूर की मेरा लड़की होना , इसीलिए नकार रही हो
कहते है दुनिया वाले , लड़का-लड़की होते है सामान
तो फ़िर क्यों नही देखने देते , मुझे ये प्यारा जहाँ
आने दो एक बार मुझे माँ , फ़िर न तुम पछताओगी
है मुझे विश्वाश माँ, तुम मुझे जरूर बुलाउगी
क्या देख लू मैं सपने , जिसमे तुम मुझे दुलार रही हो
देकर मुझको जनम माँ, तुम मेरा जीवन सवांर रही हो
मेरे प्यारे दोस्तों मेरी ये कविता अब तक की श्रेष्ठतम एवं सर्वाधिक सराही गयी कविताओ में से एक है। इस कविता को लिखते समय मैंने अपने देश में हो रहे भ्रूण हत्याओं से लातार कम हो रही लड़कियों की मार्मिक दशा थी । सचमुच जिस देश में कन्या को देवी मन जाता हो वहां कन्या भ्रूण हत्या वाकई शर्म की बात है । मेरी कविता का उद्देश्य केवल सराहना पाना नही है , बल्कि मैं चाहता हूँ की कोई बदलाव की बयार बहे .................
इस बदलाव में आपका साथअप्र्क्षित है , अपना सहयोग अवश्य दे क्योंकि हम कल भी देख सके
इसी आशा के साथ आपका अपना ही अनुज
- मुकेश पाण्डेय "chandan"
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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अच्छी भावनाओं के लिये बधाई स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण..इस विषय पर जितना भी लिखा जाये, कम है. कहीं कुछ जागृति आये.
जवाब देंहटाएंआप लिख ही नहीं रहें हैं, सशक्त लिख रहे हैं. आपकी हर पोस्ट नए जज्बे के साथ पाठकों का स्वागत कर रही है...यही क्रम बनायें रखें...बधाई !!
जवाब देंहटाएं___________________________________
"शब्द-शिखर" पर देखें- "सावन के बहाने कजरी के बोल"...और आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाएं !!
pandey jee aap badhee ke paatr hain yah kavita wqaee bahut achchhi hai... shukriya
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