कविता: न दिल में हो कौनो दूरी
लईकी- ऐसन कौन बात बा तहार भजपुरी में
कि काल्ह दुनिया बोली, एकरा के मजबूरी में
लईका -यु० पी० , बिहार के संस्कृति ह ,बड़ा नीक भाषा
दुनिया भर फैलल बा, न ह कौनो तमाशा
राज काज से लेके मनोरंजन तक बा एकरे ही चर्चा
आम आदमी के बानी ह , प्रेम मिलेला बिन खर्चा
गंगा -गंडक ,सोन-घाघरा, सब मिल के डेली आशीष
प्रेम के बोली ह, नईखे एकरा में कौनो खीस
राम, बुद्ध, महावीर के भूमि, देला शांति के सन्देश
हो कतनो बोली, भाषा, भेष , सबके ह ई भारत देश
एगो भज्पुरिया पहले हिन्दुस्तानी ह, फिर यु०पी० बिहारी
मानवता ही धरम हमनी के, करम भी ह हितकारी
त बतावा, कैसे न फैले दुनिया में भजपुरी
सबमे हो प्रेम भरल , न हो दिल में कौनो दूरी
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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बहुत बढ़िया रचना!!
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