बुधवार, 27 जनवरी 2010

जब इंदिरा जी को अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- कुतिया और डायन.....!!!!

शीर्षक पढ़कर आप चौंक गये न ?!
मैं भी पटना से प्रकाशित हिंदुस्तान समाचार पत्र को २५ जनवरी को " नेहरु को अशिष्ट मानता था चीन " शीर्षक से छपी खबर को पढ़कर चौंका था ।
आपके के लिए हिंदुस्तान की खबर ज्यो के त्यों बिना किसी फेरबदल के प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
" नेहरु को अशिष्ट मानता था चीन "
'निक्सन , इंदिरा एंड इंडिया पोलिटिक्स एंड बियोंड ' पुस्तक से हुआ खुलासा

भाषा

नई दिल्ली

प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने हालाँकि 'हिंदी चीनी भाई-भाई ' का प्रसिद्ध नारा दिया था , लेकिन चीन ने उन्हें अशिष्ट और भारत को विदेशी मदद के मामले में अँधा कुआं माना था ।

चीन का यह भी नजरिया था कियह काफी दुखद है कि दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने भी अपने पिता से उनकी पुस्तक भारत एक खोज में अभिव्यक्ति फलसफे कि विरासत को अपनाया । इस बारे में चीन का मानना था कि भारत एक खोज नेहरु के इस विचार को जाहिर करती है कि महँ भारत का साम्राज्य मलेसिया , सीलोन (श्रीलंका )
तथा अन्य क्षेत्रो तक फैला हुआ था। ये टिपण्णी चीन के पूर्व प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के समय कीथी । निक्सन ही थे , जिन्होंने इंदिरा को कुतिया और डायन कहा था , जबकि उनके राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंगर ने भारतीयों को हरामी कहा था।
ये टिप्पणिया अब पुस्तक 'निक्सन , इंदिरा एंड इंडिया : पोलिटिक्स एंड बियोंड ' का हिस्सा है । इसके लेखक वरिष्ठ पत्रकार कल्याणी शंकर है। इस पुस्तक में निक्सन के दौरे के और बाद में गोपनीयता की श्रेणी से हटाये गये दस्तावेजो का संकलन है । इन दस्तावेजो में अमेरिका, चीन और पाकिस्तान का भारतीय राजनितिक प्रणाली तथा जम्मू कश्मीर जैसे विवादस्पद मुद्दे सहित भारत के भविष्य के बारे में अपनाया गया नजरिया शामिल था । निक्सन ने २३ फ़रवरी १९७२ को चीन की अपनी एतिहासिक यात्रा के दौरान भारत पर रूस में हथियार खरीदने के लिए अमेरिकी मदद को परिवर्तित करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि वह पाकिस्तान को पर्याप्त आर्थिक मदद भेजेंगे , जिसका इस्तेमाल वह अन्य स्रोतों से हथियार खरीदने के लिए कर सकेगा । निक्सन ने कहा था ,' समस्या एक ऐसा रास्ता तलासने की है, जिसके जरिये पश्चिमी पाकिस्तान कुछ सैन्य उपकरण और मदद हासिल कर सके । हमारी ओर से , हम यह करेंगे किहम पश्चिमी पकिस्तान को पर्याप्त मात्र में आर्थिक मदद देंगे ।
इससे पश्चिमी पाकिस्तान, हमरे विचार से उसकी रक्षा के हित में , अन्य स्रोतों से हथियार खरीद सकेगा । ' उन्होंने कहा था कि असल तथ्य यह है कि यह भारत में हमारी नीति कि त्रासदी है। हमने बीते २० साल में भारत को मदद के तौरपर करीब १० अरब डॉलर दिए ।


उपरोक्त खबर से अमेरिका और चीन कि मानसिकता का पता चलती है । साथ ये भी पता चलता है कि इन दोनों देशो के प्रमुख अन्य देशो के प्रमुखों के लिए कैसी अभद्र भाषा का प्रयोग करते थे । इस पुस्तक के लिए जहाँ बधाई के पात्र है वही हमारे वर्तमान नेताओ को भी क्षुद्र मानसिकता का त्याग करके आगे के लिए सही वैदेशिक नीतियां बनानी होंगी। उपरोक्त खबर से हर भारतीय की तरह मेरा मन भी आहत हुआ है । इसके बाद भी अमेरिका हमारे नेताओ का अपमान कर चुकाहै (जार्ज फर्नाडिज , ए० पी० जे० अब्दुल कलाम आदि ) और हम अमेरिका और अमेरिकी नीतियों के पिछलग्गू बने है !! ....,,,जरा सोचिये ?!


अब बारी पुछल्ले की ...
अपने झल्लू जी से एक बार एक अमेरिकी मिला और बोला - हमारा कंट्री में हमको इतना फ्रीडम है , की हम व्हाईट हॉउस के सामने खड़ा होके अपने प्रेसिडेंट को गली दे सकता है ।
झल्लू जी - इसमें कौन सी बड़ी बात है, हम भी तो अपने राष्ट्रपति भवन के सामने खड़े होकर तुम्हारे प्रेसिडेंट को गाली दे सकते है । और तो और सेल तुम्हारे प्रेसिडेंट को तो सारी दुनिया गाली देती है !!!!
:-)

आपकी प्रतिक्रिया के इंतज़ार में आपका
मुकेश पाण्डेय "चन्दन"

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