गुरुवार, 2 अगस्त 2012

तुम्हारे जाने से .........

सभी ब्लोगेर्स साथियों को पावन रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाये . रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का एक अनूठा त्यौहार है . इस दिन का सभी बहनों को बड़ी बेसब्री से इन्तजार होता है . लेकिन इस बार रक्षाबंधन के दिन मैं अपनी बहन को राखी बंधवाने के बाद  उसे जब स्टेशन छोड़ने जा रहा था , तो मन बड़ा व्यथित था .अभी तक तो सभी रक्ष्बंधन साथ मनाये थे , लेकिन उसकी शादी के बाद ये विछोह ...पुरानी यादों को फिल्म की रील की तरह फ्लेश बैक में ले जा रहा था . बचपन की बातों से लेकर अब तक की सारी बातें एक एक करके याद आ रही थी . वो बात -बात में लड़ना -झगड़ना , रूठना-मनाना और न जाने कितनी बातें ............
तुम्हारे जाने से, जीवन में एक कमी सी तो है 
आँखे कुछ ढूंढे  , इनमे भी नमी सी तो है 
दुनिया की रीत है, एक दिन था तुम्हे जाना 
आखिर क्यों कोई अपना , हो जाता बेगाना 
वो बचपन की बातें , वो होती तकरार 
बस तेरी याद बची , कहाँ  तेरा प्यार ?
मेरे लिए सब कुछ थी तुम , अब जाने कहाँ गुम
वो तुम्हारी बकबक , अब तुम्हारी तस्वीर गुमसुम 
हर पल हर लम्हा तुम्हारी याद दिलाता 
अब जाना, कि ये रिश्ता क्या कहलाता 
मुझे पता है , वहां तुम्हारी आँखों में भी होगा पानी 
 पर शायद , मिलना-बिछड़ना ही है जिंदगानी 
कैसे भूलूं , कैसे याद करूँ , प्यारी बहना 
जब बोलते आंसू , तो जुबाँ से कहना 
सोच के तुम्हारी मुस्कराहट , आंसू निकल आते 
काश ! फिर कहीं से वो बीते पल मिल जाते

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर............
    इस पावन पर्व की शुभकामनाएं.

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति,,,,,

    रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)

एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...