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भस्म आरती के लिए पंक्तिबद्ध |
नमस्कार मित्रो , बहुत दिनों बाद आप से रु-ब-रु हो रहा हूँ . मैं मालवा दौरे में व्यस्त रहा . इस दौरे में उज्जैन में 'इंडियन मीडिया सेंटर ' के मध्य प्रदेश चैप्टर में शामिल हुआ . जहाँ उज्जैन के चर्चित ब्लोगर ' श्री सुरेश चिपलूनकर ' से मुलाकात हुई . इसके अलावा कार्यक्रम में साधना न्यूज के संपादक श्री
एन 0 के ० सिंह , माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रिय पत्रकारिता विश्वविद्यालय , भोपाल के कुलपति श्री बी ० के ० कुठियाला और अन्य कुछ बड़े पत्रकारों से मिला .
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महाकाल का प्रसाद लिए हुए , पृष्ठभूमि में महाकाल मंदिर |
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काल भैरव मंदिर के बाहर शराब बिकते हुए ....साथ ही पुलिस वाले भी अपनी ड्यूटी में ! |
अब अपनी यात्रा के बारे में कुछ बताता हूँ . मैंने अपने मैराथन दौरे के दौरान उज्जैन - इंदौर -ओम्कारेश्वर - इंदौर - धार- मांडू का सफ़र तय किया . इस दौरान जहाँ उज्जैन -ओम्कारेश्वर जैसे धार्मिक तीर्थ स्थल गया तो वही धार -मांडू (मांडव ) जैसे ऐतिहासिक शहर भी देखे . अब मैं दौरे के बारे में कुछ विस्तार से बताता हूँ . मैं रात के ११ बजे 'महाकाल की नगरी ' उज्जैन पंहुचा . सुबह ४ बजे महाकाल की भस्म आरती (इसमें भगवान महाकाल की भस्म से श्रृंगार किया जाता है ) में शामिल होना था , इसलिए जल्द खाना खा कर सो गया .भस्म आरती में शामिल होने एक दिन पहले पंजीयन करना पड़ता है .भस्म आरती में शामिल होने के लिए पुरुष केवल धोती (सोला ) और महिलाएं केवल साड़ी ( बिना पेटीकोट के ) में जा सकती है .हालाँकि महिलाओ वाली बात मुझे अटपटी जान पड़ी , क्योंकि मंदिर के अन्दर महिला पुलिस महिलाओं की साड़ी उठाकर उनके पेटीकोट चेक कर रही थी . भस्म आरती लगभग एक घंटे चलती है . जब भगवान् महाकाल को भस्म का विशेष श्रृंगार किया जाता है , तब नंदी हाल में उपस्थित महिलाओं को घूँघट करने को कहा जाता है , ताकि वो भगवान् का ये विशेष श्रृंगार न देखे ! भगवान् महाकाल द्वादश ज्योतिर्लिंगों में विशेष माने जाते है, क्योंकि कहा जाता है , कि जो एक बार महाकाल के दर्शन कर लेता है , वो जीवन में अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाता है . महाकाल को उज्जैन का राजा और रक्षक मन जाता है . सावन के सोमवार को महाकाल की शाही सवारी निकलती है , जिसमे मध्य प्रदेश शासन महाकाल को बन्दूको की सलामी ( गार्ड ऑफ़ ऑनर ) दी जाती है
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क्षिप्रा के किनारे राम घाट |
. उज्जैन को मंदिरों की नगरी कहा जाता है , क्योंकि यहाँ हर गली- चौराहे पर आपको मंदिर मिल जायेंगे . महाकाल परिसर में ही कई मंदिर है . इसके अलावा उज्जैन के अन्य प्रसिद्द मंदिरों में काल भैरव मंदिर जो कि भगवन शिव का क्रुद्ध अवतार है , इन्हें शराब का भोग लगता है , आश्चर्य की बात ये है , कि काल भैरव इसका सेवन करते हुए दिखाई पड़ते है , जब पुजारी एक प्याले में शराब डाल कर काल भैरव की मूर्ति के मुख के पास रखते है, तो प्याले में से मदिरा धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती है ! अन्य मंदिरों में हरसिद्धि देवी मंदिर , सिद्धवट , गढ़कालिका , मंगलनाथ ,चार धाम मंदिर , बड़े गणेश , क्षिप्रा घाट आदि . इसके अलावा एतिहासिक स्थानों में राजा भ्रत हरि की गुफा , किला , जंतर-मंतर ( ये पृथ्वी के केंद्र पर है ) , संदीपनि आश्रम ( जहाँ कृष्ण-बलराम और सुदामा पढ़े ) आदि .
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सिंहासन बत्तीसी जल कुम्भी भरे गंदे तालाब के नीचे है , हालाँकि इसमें बगुले सैर कर रहे है ! |
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सिंहासन बत्तीसी वाले तालाब के किनारे हष्ट-पुष्ट भिखारी |
महाकाल मंदिर से हरसिद्धि मंदिर की और जाते समय रास्ते में एक गन्दा तालाब सा मिला , जिसमे बहुत सारी जलकुम्भी लगी थी , बताते इस स्थान पर राजा विक्रमादित्य का सभागार था ,यहीं सिंहासन बत्तीसी है . भारत के हर तीर्थ स्थान की तरह उज्जैन में भी भांति -भांति के भिखारी है , जिसमे कुछ बड़े ही हष्ट-पुष्ट मिले . विक्रम विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में 'इंडियन मीडिया सेंटर ' के कार्यक्रम के पश्चात् हम लोग उज्जैन भ्रमण पर निकले , जिसमे काल-भैरव , गढ़ कालिका , भरथरी की गुफा , सिद्ध वट , मंगल नाथ होते हुए महाकाल धर्मशाला पहुचे ........फिर दुसरे दिन सुबह इंदौर होते हुए ओम्कारेश्वर की यात्रा पर निकल गए ..उसकी कहानी अगली पोस्ट में
बहुत ही बढ़िया चित्रमय प्रस्तुति,,,,बधाई मुकेश जी,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
shukriya dheerendra ji
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंमहाकाल और मांडू दोनों सुन्दर जगह हैं...
भस्म आरती तो दूसरे लोक में ही ले जाती है..
(भस्म आरती में साड़ी पहनना आवश्यक है बस...हां सलवार या पायजामा वर्जित है तो शायद वही चेकिंग हो रही हो मगर हमें ये अनुभव नहीं हुआ )
अनु
anu ji , apki bat sahi ho sakti hai .
हटाएंमहाकाल के दर्श कर, घूमे जब उज्जैन ।
जवाब देंहटाएंतन थक कर था चूर पर, मन को मिलता चैन ।
मन को मिलता चैन, रैन में बेचा घोड़ा ।
सोया गहरी नींद, भिखारी किन्तु निगोड़ा ।
देता मुझे जगाय, बताये वह क्यों तगड़ा ।
सिंहासन बत्तीस, करे है सारा रगड़ा ।।
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
bahut bahut shukriya ravikar ji
हटाएंएक सुखद यात्रा विवरण की प्रस्तुति ..बढ़िया चर्चा ..धन्यवाद मुकेश जी..
जवाब देंहटाएंswagat hai pandye ji , isi tarah sneh banaye rahe ...
हटाएंकाल भैरव मंदिर जो कि भगवन शिव का क्रुद्ध अवतार है , इन्हें शराब का भोग लगता है , आश्चर्य की बात ये है , कि काल भैरव इसका सेवन करते हुए दिखाई पड़ते है , जब पुजारी एक प्याले में शराब डाल कर काल भैरव की मूर्ति के मुख के पास रखते है, तो प्याले में से मदिरा धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती है !
जवाब देंहटाएंभाई साहब गणेश जी भी इस देश में दूध पी चुकें हैं ,अब लगता है भारत में अमीरों के स्वान और देवता ही दूध पीते हैं ,बच्चों को तो मिलता नहीं .ये पेटी कोट चेक करने की बात भी अजीब रही क्या आगे की सामिग्री भी चेक की जाती है .?आपने यिस यात्रा का सटीक विवरण मुहैया करवाया है हट्टे कट्टे सिल बट्टे साधू भी दिखलायें हैं ,सांस्कृतिक झांकी के नाम पर यहाँ क्या क्या होता है मन्दिर में तोपों की सलामी ,देवदासियां .....रोमांटिक खाऊ पीर पंडित जी ,शराब और घूंघट में शबाब ,कहीं भगवान् की नजर न लग जाए या भगवान् को भगतानी की नजर न लग जाए ..क्या कहना है भैरव जी का .....
बुधवार, 12 सितम्बर 2012
देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .
virendra ji , apne desh me sab chalta hai . sneh banaye rakhiyega .
हटाएंविस्तृत वर्णन सुन्दर चित्र! वस्त्र परम्परा की बात पढकर अजीब सा लगा।
जवाब देंहटाएंanu ji ki bat sahi ho sakti hai !
जवाब देंहटाएंचित्रमय प्रस्तुति....सुखद यात्रा रही आपकी .......... मुकेश जी
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