बुधवार, 14 मार्च 2018

कुछ याद उन्हें भी कर लो, जो लौट के घर न आये ! शौर्य स्मारक भोपाल

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले !!

भारत में जब हम हमारे सैनिकों की शहादत को चिरस्मरणीय बनाने वाले किसी स्मारक की बात करते हैं, तो हमारे सामने सिर्फ इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति का ही नाम आता है . इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में बना हुआ एक स्मारक है, परंतु वह अंग्रेजों द्वारा बनाया गया . स्वतंत्र भारत में अभी तक ऐसे किसी भी स्मारक की स्थापना नहीं की गई थी.  परंतु इस कमी को दूर करने का बीड़ा उठाया मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने और दुनिया के सामने भारतीय शहीदों की वीर गाथाओं का साक्षात प्रतीक शौर्य स्मारक भोपाल की स्थापना हुई । सामान्यता आम लोगों को सैनिकों के कठिन जीवन और उनके अदम्य साहस से रूबरू होने का मौका बहुत कम मिल पाता है । आम लोगों को हमारे शहीदों के बारे में भी बहुत कम जानकारी होती है । इन सब कमियों को दूर करने के लिए भोपाल शहर के केंद्र में अरेरा पहाड़ी पर शौर्य स्मारक द वार मेमोरियल  की स्थापना की गई।  14 अक्टूबर 2016 को 41 करोड़ की लागत से बनाए गए इस शौर्य स्मारक का लोकार्पण माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा किया गया । जिस दिन अखबारों में इस स्मारक के निर्माण की जानकारी पढ़ी थी, उसी दिन से इस स्मारक को देखने की तलब लग गई और आखिरकार वह दिन आ ही गया, जिस दिन हम इस अदम्य साहस की प्रतीक शौर्य स्मारक के प्रांगण में खड़े थे । 20 सितंबर 2017 को हम शौर्य स्मारक पहुंचे, दिल की धड़कन तेज हो चुकी थी और पूरा शरीर जोश से भर चुका था । कदम कदम बढ़ाए जा खुशी के गीत गाए  जा  की धुन के साथ हमारा स्वागत शौर्य स्मारक में हुआ ।
         NCC के समय से ही सेना से एक अलग ही जुड़ाव हो गया था । NCC के कैंपों में भारतीय सेना की गतिविधियों से कई बार रूबरू हुआ और आज फिर से वह यादें ताजा हो गई । एक बहुत ही शानदार हरित कॉरीडोर के बाद जब हम शौर्य स्मारक परिसर में पहुंचे तो  एम्फीथिएटर अर्थात खुले रंगमंच की स्क्रीन पर भारतीय सैनिकों पर जांबाजी को दिखाती हुई फिल्म प्रदर्शित हो रही थी और उसे देखकर रोंगटे खड़े हो गए । हल्की हल्की बारिश प्रारंभ हो चुकी थी और लग रहा था कि प्रकृति भी अदम्य साहस के शूरवीरों का अभिनंदन कर रही हो । इसे शौर्य स्मारक के रखरखाव के लिए ₹10 का मामूली सा टिकट रखा गया है, जो कि भारतीय सेना और उनके परिवारजनों के लिए निशुल्क है । शौर्य स्मारक का रखरखाव भोपाल स्थित भारतीय सेना एवं मध्य प्रदेश प्रशासन द्वारा किया जाता है।  बुधवार के अवकाश को छोड़कर यह प्रतिदिन दोपहर 12:00 से शाम 7:00 बजे तक आम जनता के लिए खुला रहता है । खुले रंग मंच की स्क्रीन पर हम भारतीय जवानों के प्रदर्शन की फिल्म देखने के पश्चात तीनों सेनाओं से संबंधित संग्रहालय की ओर आगे बढ़े और हमारा स्वागत संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर लगे एक चित्र ने किया जिस पर महाभारत के शांति पर्व का एक श्लोक लिखा हुआ था । गैलरी में आगे बढ़ते ही दोनों तरफ की दीवारों में शौर्य के इतिहास और साहित्य मैं वीरता के उदाहरणों से सुसज्जित चित्रों ने न केवल आनंदित किया बल्कि हमारे रगों में रक्त संचार और तेज कर दिया । चित्रों के माध्यम से प्रारंभिक काल से लेकर वर्तमान काल के युद्ध के तरीकों को बहुत ही अच्छे अंदाज में दिखाया गया पाषाण काल में आदिमानव की लड़ाइयों से शुरुआत होकर रामायण महाभारत के युद्ध प्राचीन भारतीय शासकों के युद्ध से लेकर आधुनिक भारत के युद्धों के चित्र दोनों तरफ की दीवारों पर प्रदर्शित थे । इन चित्रों के माध्यम से न केवल युद्ध शैलियों के उद्विकास की जानकारी मिलती है बल्कि तत्कालीन भारत के इतिहास की भी जानकारी मिलती है ।  इन चित्रों को देखते हुए हम आगे बढ़े और एक कक्ष में प्रवेश करते ही हम अचंभित हो उठे....



शौर्य स्मारक , भोपाल मध्य प्रदेश 
शौर्य स्मारक का प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही 
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा लोकार्पण का शिलालेख 
खुला रंगमंच (जिसमे भारतीय सैनिकों के जांबाजी भरे करतब फिल्म के रूप में दिखाए जाते है )
सेना के कोई बड़े अधिकारी भी आये हुए थे 
संग्रहालय की प्रवेश वीथिका 
महाभारत के शांति पर्व के श्लोक से स्वागत 
शौर्य गाथाओं का इतिहास प्रदर्शित करते चित्र 
पाषाणकाल में आदिमानवों की लड़ाइयां 
राम-रावण युद्ध के दृश्य 
महाभारत युद्ध के आरम्भ में अर्जुन को गीता का ज्ञान देते श्रीकृष्ण 
हिन्दू-मुस्लिम शासकों के मध्य एक युद्ध 
सिख-मुग़ल युद्ध के दृश्य 
चेतक पर सवार महाराणा प्रताप युद्ध करते हुए 
टीपू सुल्तान द्वारा मिसाइल का प्रयोग (आंग्ल -मैसूर युद्ध )
1857 के ग़दर में अंग्रेजों के दांत खट्टे करते हुए तात्या टोपे 
गाँधी जी का अहिंसक आंदोलन 
        अगले कक्ष में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के इतिहास को चित्रों के माध्यम से बताया गया कि किस तरह 22 जुलाई 1947 को हमारे तिरंगे झंडे ने कई रूपों को बदलते हुए अपना वर्तमान स्वरूप धारण किया । उसके पश्चात भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से लेकर वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी तक के चित्रों को क्रमशः प्रदर्शित किया गया था । इनमें से सभी राष्ट्रपतियों के नाम और उनके कार्यकाल किताबों में तो पढ़े थे परंतु कुछ राष्ट्रपतियों के चेहरे पहली बार देखने को मिले । अगली दीवार पर भारत के थल सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुखों के चित्र क्रमशा प्रदर्शित थे । उसके पश्चात सामने की ओर सेना के द्वारा बनाए गए बनकर और सीमा पर बनाए गए मोर्चे का जीवंत चित्रण प्रतिमाओं के माध्यम से किया गया । आगे बढ़ने पर 1947 में हुए भारत पाकिस्तान के बटवारे के चित्रों को प्रदर्शित किया गया था, कि किस तरह करोड़ों लोगों को इस पार और उस पार आना जाना पड़ा । फिर आगे भारत पाकिस्तान युद्ध और भारत चीन युद्ध के चित्र को प्रदर्शित किया गया । अभी तक के चित्र श्वेत-श्याम थे जबकि 1999 के कारगिल युद्ध के चित्र रंगीन प्रदर्शित किए गए थे । युद्ध चित्रों के पश्चात सेना की शीतकालीन गतिविधियों को भी प्रदर्शित किया गया और बताया गया कि शांति काल में भी हमारे सैनिक आराम से नहीं बैठते देश की सेवा के लिए हर वक्त तत्पर रहते हैं । इसके पश्चात एक छोटा कक्ष दिखाई दिया जहां बाहर सियाचिन ग्लेशियर लिखा हुआ था और सेना की वर्दी धारण किए एक सैनिक खड़ा था । यहां पर हमारे मोबाइल और कैमरे जमा करा लिए गए और जब हम कक्ष के भीतर प्रवेश किए तो हमें उसे वातावरण को महसूस कराया गया जिस वातावरण को सियाचिन ग्लेशियर में हमारे सैनिक महसूस करते हैं । कमरे के अंदर बहुत अधिक ठंड थी और चारों तरफ बर्फ की सफेदी छाई हुई थी हालांकि हम इसकी कोई फोटो नहीं ले सके लेकिन कुछ देर के लिए ही सही सैनिकों के उस भाव को महसूस कर हमने स्वयं को धन्य समझा । 
तिरंगे का इतिहास 
तीनो सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपतियों की क्रमशः चित्र 
अब तक के थलसेना प्रमुख 
नौसेना प्रमुख 
अब तक के वायुसेना प्रमुख 
एक सैन्य मोर्चे का जीवंत प्रदर्शन 
सियाचिन ग्लेशियर कक्ष 
इस पोस्ट में इतना ही आगे भारतीय सेना के कई रहस्य और रोमांच बाकी है।  क्रमशः जारी 

22 टिप्‍पणियां:

  1. सचमुच सेना का नाम आते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं । और इस पोस्ट में तो आपने साक्षात फौज के बीच ला खड़ा कर दिया । धन्यवाद पाण्डेय जी इस रोमांचक और सजीव वर्णन के लिए 👍

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  2. बहुत ही बढ़िया जानकारी। मैं स्वयम् अब तक देख नहीं पाया हूं। अब मुहूरत निकालना ही पड़ेगा।

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  3. जय हिंद..
    जय हिंद की सेना...👍👍👍

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  4. जानकारी से भरी बढ़िया पोस्ट ।जय हिंद

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  5. वाह बहुत खूबसूरत शब्दों में पिरोया है आपने भारत के सूरवीरों की यादगार को

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  6. बहुत खूबसूरत शब्दों में भारतीय सेना और उसके वीर जवानों को सम्मान देती पोस्ट !! जय हिन्द

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  7. बहुत बढ़िया पाण्डेय जी ....आपने भोपाल के इस अनोखे शौर्य स्मारक स्थल से बखूबी परिचय करवाया अपनी लेखनी और सुन्दर चित्रों के माध्यम से .....
    धन्यवाद जी

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  8. बहुत बढ़िया जानकारी...इस जगह जाकर सेना के शौर्य और साहस को और करीब से महसूस किया जा सकता है....कल के दिन खुले सेना वार मेमोरियल को भी और इसे भी देखने की और सेना की प्रति feeling को महसूस करने का मन बहुत है और आज के सेना के अदम्य साहस के सामने यह दोनों जगह अब जाने का बहुत मन है....बढ़िया जानकारी....

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  9. Wow आज अगर आप ग्रुप की पहेली न पूछते ओर न देश मे ऐसे हालात होते तो शायद ये आपकी पोस्ट से मैं अछूती राह जाती,,,,,सच मे रोंगटे खड़े कर देती हैं ये वीरों की गाथाएं,,,,,,जय हिंद

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ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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