शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

दिल्ली : नाम बड़े और दर्शन छोटे ...!!

ये है दिल्ली नगरिया ...










आभाव का प्रभाव !!









मज़बूरी लेकिन जरुरी ...









स्वागतम दिल्ली !!!

नमस्कार मित्रो ,
पिछले ५-६ दिनों से दिल्ली प्रवास पर हूँ । इसके पहले सिर्फ एक बार ही कुछ घंटो के लिए ही दिल्ली आया था । इसलिए दिल्ली की वही तस्वीर मन में बसी थी , जो टी ० वी ० और फिल्मो में ही देखी थी । जब पहली बार आया था , तो निजामुद्दीन स्टेशन से मुखर्जी नगर तक ही गया था । रस्ते में राजघाट आदि होते हुए ही सुन्दर दिल्ली ही दिखी थी । मगर इन ५-६ दिनों में दिल्ल्ली की दूसरी ही तस्वीर दिखी है .....
चमचमाती इमारतों के पीछे बिलबिलाते झुग्गियो के लोग ............... सड़ांध मारते अतिक्रमित नाले -नालियां ......... दिन भर की भाग दौड़ के बाद रात भर पानी आने का इंतजार करते लोग ............. दिल्ली जल बोर्ड के टेंकरों के सामने पानी के लिए लड़ते झगड़ते लोग .................मेट्रो का सुख तो है , मगर रिक्शोवालो के सूखते कंठ भी है..........
वाह री ....... दिल्ल्ली

1 टिप्पणी:

  1. पांडेय जी आप दिल्ली के ऐसे रूट पर यात्रा की है, जो यमुना नदी के पास वाला है, दिल्ली मे यमुना की हालत एक नाले जैसी हो चुकी है, ओर इसी के किनारे व आसपास झुग्गी बहुत मात्रा में बसी है, बाकी दिल्ली में देखने को ओर भी है,

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ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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