गुरुवार, 12 जुलाई 2012

ब्राह्मणों की कहानी ........

नमस्कार ,
मित्रो आज हम इतिहास से कुछ खोज कर बड़ी ही मजेदार चीज लाये है !
अरे भाई ! इतना जल्दी क्या है ?
जब खोज कर लाये है , तो आप को भी बताएँगे ही , यहाँ तो आप ही के लिए आते है न !
आज हम ब्राह्मणों के बारे में कुछ ज्ञान खोज के लाये है ! हां लेकिन ये सब आपकी जानकारी के लिए है , इसमें कोई जातिवाद नही है.
तो भैया तो सबसे पहले ब्राह्मण शब्द का प्रयोग अथर्वेद के उच्चारण कर्ता ऋषियों के लिए किया गया था . फिर प्रत्येक वेद को समझनेके लिए ग्रन्थ लिखे गये उन्हें भी  ब्रह्मण साहित्य कहा गया है . 
अब देखा जाये तो भारत में सबसे ज्यादा विभाजन या वर्गीकरण ब्राह्मणों में ही है . जैसे :- सरयू पारीण, कान्यकुब्ज , जिझौतिया , मैथिल , मराठी , बंगाली ,भार्गव ,कश्मीरी , सनाढ्य , गौड़ , महा-बामन और भी बहुत कुछ . इसी प्रकार ब्राह्मणों में सबसे ज्यादा उपनाम (सरनेम या टाईटल )  भी प्रचलित है , तो इन्ही  में कुछ लोकप्रिय उपनामों और उनकी उत्पत्ति के बारे में जानते है . 
एक वेद को पढने  वाले ब्रह्मण को पाठक कहा गया 
दो वेद पढने वाले को द्विवेदी कहा गया , जो कालांतर में दुबे हो गया 
तीन वेद को पढने वाले को त्रिवेदी/ त्रिपाठी  कहा गया , जो कालांतर में तिवारी हो गया 
चार वेदों को पढने वाले चतुर्वेदी कहलाये , जो कालांतर में चौबे हुआ 
शुक्ल यजुर्वेद को पढने वाले शुक्ल या शुक्ला  कहलाये 
चारो वेदों , पुराणों और उपनिषदों के ज्ञाता को पंडित कहा गया , जो आगे चलकर पाण्डेय .पाध्याय ( ये कालांतर में उपाध्याय हुआ ) बने .
इनके अलावा प्रसिद्द ऋषियों के वंशजो ने अपने  ऋषिकुल या गोत्र के नाम को ही उपनाम की तरह अपना लिया , जैसे :- 
भगवन परसुराम भी भृगु कुल के थे
भृगु कुल के वंशज भार्गव कहलाये , इसी तरह गौतम , अग्निहोत्री , गर्ग . भरद्वाज  आदि 


इन्हें तो आप पहचान गये होंगे ! अगर नही पहचाने तो जानकारी के लिए बता दे ये इन पंक्तियों का लेखक है .

शास्त्र धारण करने वाले या शास्त्रार्थ करने वाले शास्त्री की उपाधि से विभूषित हुए . बहुत से ब्राह्मणों को अनेक शासको  ने भी कई  तरह की उपाधियाँ  दी  , जिसे बाद में उनके  वंशजो ने उपनाम   की तरह उपयोग  किया . इस  तरह से ब्राह्मणों के उपनाम प्रचलन में आये . बाकि अगली किसी पोस्ट में ............
तब तक के लिए राम राम 

22 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर जानकारी दी है युवा ब्राम्हणों को इस लेख से खासा जानकारी मिल सकेगी ... प्रस्तुति के लिए बधाई ..

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  2. ब्राम्हण समाज के लिए उपयोगी,,,, ,जानकारी देने के लिए आभार,,,,

    RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

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  3. जिझौतिया ब्राम्‍हण कौन है इनकी बंशावली क्‍या है । ये किस ब्राम्‍हण अर्थात सरयूपारीण , गौड् , सनाढय , कान्‍यकुब्‍ज या किसमें आते हैं

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    उत्तर
    1. जेजाकभुक्ति यानि बुंदेलखंड के रहने वाले जिझोतिया कहलाये ।सरयू के पर रहने वाले सरयूपारीण , कानपुर या कन्नोज के आसपास वाले कन्यकुब्ज , राजस्थान में गौड़ ब्राह्मण कहलाये ।

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  4. अमित कुमार श्रीवास्तव14 मार्च 2014 को 9:04 pm बजे

    अधूरी जानकारी ही आपने दी है.....मिश्रा के बारे में आपकी क्या राय है?

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    उत्तर
    1. कई तरह के मिश्रित कार्य जैसे वेद् पाठ, यज्ञ, विवाह ,ज्योतिष आदि करनेवाले मिश्र या मिश्रा कहलाये ।

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  5. नमो ब्राह्मण देवाय

    मै एक ब्राह्मण भक्त हु, और ब्राह्मन भक्ति से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं
    सभी के हित के लिये व्स्व्यं प्रेरित होने वाली शक्ति ब्राह्मण है
    ब्राह्मणो द्वारा ही सभी जातियो और सम्प्रदायो का जन्म होता है
    जब ब्राह्मण गुणो और कर्मो से पतित होते है तब ्नयि नयि जातियो का जन्म होता है और वे और पतित होकर अन्त मे नष्ठ हो जाती है
    जिस प्रकार अति पावन माता गंगा की पवित्र उदगम स्थान पर श्रेष्ठ्तम होती है परन्तु वन्हा से माता सभी का पालन पोषण करते हुये अन्त मे मलिन हो समुद्र मे मिल जाती हैं इसी प्रकार ब्राह्मण का पतन ब्रह्म गन्गा है ब्रह्मनो के इस स्वरूप को प्रणाम करो किसि भी प्रकार ब्राह्मण द्रोहि न बनो

    जब तक ब्रह्मणो के डीएनए से १% भी आपका डीएनए मेल खाता है ताभी तक जातियो है

    ब्राह्मणो ने हर प्रकार से इस धर्ती का भार उठा रखा है इस विषय मे और अधिक जानकारी के लिये मेरे whatsapp number 9893994078 पर सम्पर्क कर सकते हैं

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  6. पोस्ट को विस्तार की आवश्यकता है।

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  7. एक मुख्य घटक सारस्वत ब्राह्मणो को तो भूल ही गये

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  8. जिझौतिया ब्राह्मण मुख्य रूप से कहा पाते जातें हैं

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    उत्तर
    1. प्राचीन काल के जेजाकभुक्ति (वर्तमान बुंदेलखंड ) में

      हटाएं
  9. सराहनीय जानकारी से अवगत कराने हेतु बहुत-बहुत साधुवाद

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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