नमस्कार ,
मित्रो आज हम इतिहास से कुछ खोज कर बड़ी ही मजेदार चीज लाये है !
अरे भाई ! इतना जल्दी क्या है ?
जब खोज कर लाये है , तो आप को भी बताएँगे ही , यहाँ तो आप ही के लिए आते है न !
आज हम ब्राह्मणों के बारे में कुछ ज्ञान खोज के लाये है ! हां लेकिन ये सब आपकी जानकारी के लिए है , इसमें कोई जातिवाद नही है.
तो भैया तो सबसे पहले ब्राह्मण शब्द का प्रयोग अथर्वेद के उच्चारण कर्ता ऋषियों के लिए किया गया था . फिर प्रत्येक वेद को समझनेके लिए ग्रन्थ लिखे गये उन्हें भी ब्रह्मण साहित्य कहा गया है .
अब देखा जाये तो भारत में सबसे ज्यादा विभाजन या वर्गीकरण ब्राह्मणों में ही है . जैसे :- सरयू पारीण, कान्यकुब्ज , जिझौतिया , मैथिल , मराठी , बंगाली ,भार्गव ,कश्मीरी , सनाढ्य , गौड़ , महा-बामन और भी बहुत कुछ . इसी प्रकार ब्राह्मणों में सबसे ज्यादा उपनाम (सरनेम या टाईटल ) भी प्रचलित है , तो इन्ही में कुछ लोकप्रिय उपनामों और उनकी उत्पत्ति के बारे में जानते है .
एक वेद को पढने वाले ब्रह्मण को पाठक कहा गया
दो वेद पढने वाले को द्विवेदी कहा गया , जो कालांतर में दुबे हो गया
तीन वेद को पढने वाले को त्रिवेदी/ त्रिपाठी कहा गया , जो कालांतर में तिवारी हो गया
चार वेदों को पढने वाले चतुर्वेदी कहलाये , जो कालांतर में चौबे हुआ
शुक्ल यजुर्वेद को पढने वाले शुक्ल या शुक्ला कहलाये
चारो वेदों , पुराणों और उपनिषदों के ज्ञाता को पंडित कहा गया , जो आगे चलकर पाण्डेय .पाध्याय ( ये कालांतर में उपाध्याय हुआ ) बने .
इनके अलावा प्रसिद्द ऋषियों के वंशजो ने अपने ऋषिकुल या गोत्र के नाम को ही उपनाम की तरह अपना लिया , जैसे :-
भृगु कुल के वंशज भार्गव कहलाये , इसी तरह गौतम , अग्निहोत्री , गर्ग . भरद्वाज आदि
शास्त्र धारण करने वाले या शास्त्रार्थ करने वाले शास्त्री की उपाधि से विभूषित हुए . बहुत से ब्राह्मणों को अनेक शासको ने भी कई तरह की उपाधियाँ दी , जिसे बाद में उनके वंशजो ने उपनाम की तरह उपयोग किया . इस तरह से ब्राह्मणों के उपनाम प्रचलन में आये . बाकि अगली किसी पोस्ट में ............
तब तक के लिए राम राम
मित्रो आज हम इतिहास से कुछ खोज कर बड़ी ही मजेदार चीज लाये है !
अरे भाई ! इतना जल्दी क्या है ?
जब खोज कर लाये है , तो आप को भी बताएँगे ही , यहाँ तो आप ही के लिए आते है न !
आज हम ब्राह्मणों के बारे में कुछ ज्ञान खोज के लाये है ! हां लेकिन ये सब आपकी जानकारी के लिए है , इसमें कोई जातिवाद नही है.
तो भैया तो सबसे पहले ब्राह्मण शब्द का प्रयोग अथर्वेद के उच्चारण कर्ता ऋषियों के लिए किया गया था . फिर प्रत्येक वेद को समझनेके लिए ग्रन्थ लिखे गये उन्हें भी ब्रह्मण साहित्य कहा गया है .
अब देखा जाये तो भारत में सबसे ज्यादा विभाजन या वर्गीकरण ब्राह्मणों में ही है . जैसे :- सरयू पारीण, कान्यकुब्ज , जिझौतिया , मैथिल , मराठी , बंगाली ,भार्गव ,कश्मीरी , सनाढ्य , गौड़ , महा-बामन और भी बहुत कुछ . इसी प्रकार ब्राह्मणों में सबसे ज्यादा उपनाम (सरनेम या टाईटल ) भी प्रचलित है , तो इन्ही में कुछ लोकप्रिय उपनामों और उनकी उत्पत्ति के बारे में जानते है .
एक वेद को पढने वाले ब्रह्मण को पाठक कहा गया
दो वेद पढने वाले को द्विवेदी कहा गया , जो कालांतर में दुबे हो गया
तीन वेद को पढने वाले को त्रिवेदी/ त्रिपाठी कहा गया , जो कालांतर में तिवारी हो गया
चार वेदों को पढने वाले चतुर्वेदी कहलाये , जो कालांतर में चौबे हुआ
शुक्ल यजुर्वेद को पढने वाले शुक्ल या शुक्ला कहलाये
चारो वेदों , पुराणों और उपनिषदों के ज्ञाता को पंडित कहा गया , जो आगे चलकर पाण्डेय .पाध्याय ( ये कालांतर में उपाध्याय हुआ ) बने .
इनके अलावा प्रसिद्द ऋषियों के वंशजो ने अपने ऋषिकुल या गोत्र के नाम को ही उपनाम की तरह अपना लिया , जैसे :-
भगवन परसुराम भी भृगु कुल के थे |
इन्हें तो आप पहचान गये होंगे ! अगर नही पहचाने तो जानकारी के लिए बता दे ये इन पंक्तियों का लेखक है . |
शास्त्र धारण करने वाले या शास्त्रार्थ करने वाले शास्त्री की उपाधि से विभूषित हुए . बहुत से ब्राह्मणों को अनेक शासको ने भी कई तरह की उपाधियाँ दी , जिसे बाद में उनके वंशजो ने उपनाम की तरह उपयोग किया . इस तरह से ब्राह्मणों के उपनाम प्रचलन में आये . बाकि अगली किसी पोस्ट में ............
तब तक के लिए राम राम
बहुत अच्छी जानकारी दी है आभार ऐसा हादसा कभी न हो
जवाब देंहटाएंजानकारी का आभार !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जानकारी दी है युवा ब्राम्हणों को इस लेख से खासा जानकारी मिल सकेगी ... प्रस्तुति के लिए बधाई ..
जवाब देंहटाएंब्राम्हण समाज के लिए उपयोगी,,,, ,जानकारी देने के लिए आभार,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
जिझौतिया ब्राम्हण कौन है इनकी बंशावली क्या है । ये किस ब्राम्हण अर्थात सरयूपारीण , गौड् , सनाढय , कान्यकुब्ज या किसमें आते हैं
जवाब देंहटाएंजेजाकभुक्ति यानि बुंदेलखंड के रहने वाले जिझोतिया कहलाये ।सरयू के पर रहने वाले सरयूपारीण , कानपुर या कन्नोज के आसपास वाले कन्यकुब्ज , राजस्थान में गौड़ ब्राह्मण कहलाये ।
हटाएंअधूरी जानकारी ही आपने दी है.....मिश्रा के बारे में आपकी क्या राय है?
जवाब देंहटाएंकई तरह के मिश्रित कार्य जैसे वेद् पाठ, यज्ञ, विवाह ,ज्योतिष आदि करनेवाले मिश्र या मिश्रा कहलाये ।
हटाएंनमो ब्राह्मण देवाय
जवाब देंहटाएंमै एक ब्राह्मण भक्त हु, और ब्राह्मन भक्ति से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं
सभी के हित के लिये व्स्व्यं प्रेरित होने वाली शक्ति ब्राह्मण है
ब्राह्मणो द्वारा ही सभी जातियो और सम्प्रदायो का जन्म होता है
जब ब्राह्मण गुणो और कर्मो से पतित होते है तब ्नयि नयि जातियो का जन्म होता है और वे और पतित होकर अन्त मे नष्ठ हो जाती है
जिस प्रकार अति पावन माता गंगा की पवित्र उदगम स्थान पर श्रेष्ठ्तम होती है परन्तु वन्हा से माता सभी का पालन पोषण करते हुये अन्त मे मलिन हो समुद्र मे मिल जाती हैं इसी प्रकार ब्राह्मण का पतन ब्रह्म गन्गा है ब्रह्मनो के इस स्वरूप को प्रणाम करो किसि भी प्रकार ब्राह्मण द्रोहि न बनो
जब तक ब्रह्मणो के डीएनए से १% भी आपका डीएनए मेल खाता है ताभी तक जातियो है
ब्राह्मणो ने हर प्रकार से इस धर्ती का भार उठा रखा है इस विषय मे और अधिक जानकारी के लिये मेरे whatsapp number 9893994078 पर सम्पर्क कर सकते हैं
आभार
हटाएंMn se kisi ka bura nahi s0che v0 hi acha brahman hai. B.s.Sharma
जवाब देंहटाएंMn se kisi ka bura nahi s0che v0 hi acha brahman hai. B.s.Sharma
जवाब देंहटाएंWah Brahman ki jai
जवाब देंहटाएंपोस्ट को विस्तार की आवश्यकता है।
जवाब देंहटाएंप्रयास करेंगे ।
हटाएंहे एकदम भारी . डोळ्यासमोर मायबोली आली.. :)
जवाब देंहटाएंGautam brahman ke bare me bhi kuchh pari chay de
जवाब देंहटाएंएक मुख्य घटक सारस्वत ब्राह्मणो को तो भूल ही गये
जवाब देंहटाएंसरस्वती के किनारे वाले सारस्वत
हटाएंजिझौतिया ब्राह्मण मुख्य रूप से कहा पाते जातें हैं
जवाब देंहटाएंप्राचीन काल के जेजाकभुक्ति (वर्तमान बुंदेलखंड ) में
हटाएंसराहनीय जानकारी से अवगत कराने हेतु बहुत-बहुत साधुवाद
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