मित्रो सर्वप्रथम आप सभी को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाये
इसके बाद मैं आपको मुर्ख दिवस की शुभकामनाएं नही दूंगा , क्योंकि आप सभी मुर्ख तो है नही !(जरुरी नही कि मेरी सोच सही ही हो )
तो आज सुबह से राम नवमी से ज्यादा अप्रेल फूल की शुभकामनाएं मेरे मोबाइल के इन्बोक्स में आ रही है । अब मैं ये सोच नही पा रहा हूँ , कि कौन मुर्ख है , मैं (जिसे ऐसे सन्देश आ रहे है ) या वो लोग जो ऐसे सन्देश भेज या फॉरवर्ड कर रहे है । खैर ये सब छोडो कुछ काम की बात की जाये ....अरे यार हंसाने की बात नही है , क्या अफ्रेल फूल के दिन काम नही होता । अगर ऐसा होता तो सरकार अपना वित्तीय वार्षिक वर्ष १ अप्रेल से शुरू नही करती ।( वो अलग बात है ,कि वो हमेशा लोगो को किसी भी दिन मुर्ख बनाने के लिए स्वतंत्र है ) बैंको का वर्ष १ अपेल से शुरू नही होता । आप फिर हंसाने लगे , गलत बात है , मैं कोई लताफा(लतीफे का बड़ा भाई ) थोड़े सुना रहा हूँ ॥
हाँ ,तो मैं अपनी बात शुरू कर रहा हूँ , तो सुबह सुबह मेरे पडोसी गौतम जी फनफनाये से मेरे पास आये , और दांत पीसते हुए आँखे निकलते हुए मुझ को घूरने के अंदाज़ में बोले - हद हो गयी पाण्डेय जी !
मैं थोडा घबरा सा गया , कि भई मैंने आज के दिन मतलब मुर्ख दिवस के दिन कौन सी हद कर दी !
मैंने थोड़े घबराये से अंदाज में पूछा - किस बात की हद हो गयी ?
गौतम जी हाथ नाचते हुए बोले - आपको सोने से फुर्सत मिले तो देश दुनिया की खबर मिले !
मैं फिर रक्षात्मक मुद्रा अख्तियार करते हुए बोला , अब मेरे सोने से कौन सी हद टूट गयी ? मैं कोई गर्द थोड़े हूँ , जो ड्यूटी के वक़्त सो नही सकता है , और मैं तो अपने घर में फुर्सत के समय सो रहा था ।
गौतम जी फिर खिसियाने से अंदाज में बोले - जब आप जैसे लोग घोड़े बेचकर सोयेंगे तो ऐसा तो होगा ही !
अब फिर मेरे आश्चर्यचकित होने की बारी थी , अरे भई , अब मैंने किस के घोड़े बेच दिए , और मैं क्यों घोड़े बेचने लगा ? और सीधे सिद्ध बताओ हुआ क्या है ?
अब गौतम जी कुछ नरम पड़े और बोले - क्या घोर कलयुग आ गया ! भगवान् श्रीराम की जन्म दिन मुर्ख दिवस को मनाया जा रहा है !
मैंने राहत की साँस ली , कि चलो मैंने कोई गलती नही की या मेरा कोई दोष नही है । फिर मैंने चैन की साँस लेते हुए कहा - सही तो है , अब इस देश में लोग राम की पूजा तो खूब करते है , लेकिन उनके आदर्शो को दूर से भी नही अपनाते है । भगवान् को प्रसाद की रिश्वत देकर अपने स्वार्थ पुरे किये जाते है । और मन्नत पूरी होने पर बड़े खुश होते है , कि भगवान को सिर्फ सवा किलो लड्डू या एक सौ एक रूपये में सस्ते में पटा लिया ! तो भगवान् ने भी सोच लिया होगा , बेटा इस बार मैं मुर्ख दिवस के दिन पैदा होऊंगा , और जितने स्वार्थी भक्त रिश्वत देकर मुझे ललचाने कि कोशिश करेंगे उन्हें उनकी ही तरह मैं भी अप्रेल फूल बनाऊंगा !
अब घबराने की बारी गौतमजी की थी , मतलब आज सुबह हो मैं जो भगवान् से अपनी मन्नत कह के आया हूँ , वो पूरी नही होगी ?
नही यार खामख्वाह डर रहे हो , भगवान रिश्वत या प्रसाद के भूखे थोड़े है , और भगवान् अपने सच्चे भक्तो को थोड़े मुर्ख थोड़े बनायेंगे । वो तो झूठे -मक्कार लोगो को मुर्ख बनायेंगे , जिन्होंने अपने स्वार्थो के पीछे पूरे देश को मुर्ख बना रहे है । टेंशन मत लो यार , आओ चाय पीते है । जय श्री राम
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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जनता का काम मूर्ख बनना है, वह बन रही हैं ........
जवाब देंहटाएंsunil ji sahi kaha aapne
हटाएंरोचक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह मुकेश जी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ............मुर्ख दिवस की शुभ कामनाए
हो सकता है , भगवान् यह दिवस मना रहे हों
जवाब देंहटाएंsahi kaha rashmi ji
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