जिन्दगी में कुछ छूट जाता है , जाने कहाँ
होता है सब कुछ साथ, पर है दिल तनहा
अतीत की होती है, कुछ रंगीली यादें
कुछ खाली पन्ने , होते है कुछ अधूरे फलसफा
मन करता है, कि फिर लौट चले पीछे
पर बाकी है, अभी देखना आगे का जहाँ
हम तनहा ही चले थे, इस सफ़र में
आज फिर तनहा, छूते जाने कितने कारवां
ख़ुशी सी होती नही, पर गम भी नही
निकले थे कितने अश्क, लगे कितने कहकहा
लहरें यूँ ही आती रही , साहिल पे खड़े हम
आखिर समंदर में डूब ही गया ये आसमां
टूट गये वो बनाये हुए रेत के महल
पर अभी भी बाकी रह गये कुछ निशां......
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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मन करता है, कि फिर लौट चले पीछे
जवाब देंहटाएंपर बाकी है, अभी देखना आगे का जहाँ
हम तनहा ही चले थे, इस सफ़र में
आज फिर तनहा, छूते जाने कितनेकारवां ... सही एहसासों को शब्द दिए , ऐसा ही होता है
shukriya rashmi ji
हटाएंबढ़िया रचना,बहुत सुंदर भाव प्रस्तुति,बेहतरीन पोस्ट,....
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
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dhanyawaas dheerendra ji
हटाएंनिशान हमेशा रह जाते अहिं दिल के अंदर ...
जवाब देंहटाएंगहरे एहसास ...
yahi to jindagi hai digambar ji
हटाएंअच्छे शब्द संयोजन के साथ सशक्त अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
dhanyawaad sanjay ji
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