ये बात दो साल पहले की बात है,
मैं और मेरा छोटा भाई अभिषेक बक्सर से बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए बनारस पहुचे . हम दोनों पहली बार बनारस गये थे , इसलिए कोई जानकारी नही थी , खैर स्टेशन से रिक्शा करके बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन के लिए पहुचे . रिक्शे वाले ने बाबा विश्वनाथ के मुख्य द्वार पर छोड़ दिया . मुख्य द्वार पर पुलिस वाले खड़े थे , जब हमने उनसे मंदिर जाने का रास्ता पूछा तो अन्दर गली की तरफ इशारा करते हुए पुलिस वाले ने बताया - अन्दर गली में जो भैंस जा रही है , उसके पीछे चले जाओ , मंदिर तक पहुच जाओगे ! सुनकर अजीब सा लगा !! एक तो अन्दर संकरी सी गली उस उसर भैंस के पीछे जाना ! यार हम किसी परिचित का माकन थोड़े ढूंढ रहे थे , हमें तो विश्वप्रसिद्द और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्वनाथ के मंदिर जाना था . लेकिन क्या करते ? एक बताने वाले पुलिस वाले थे , और जहाँ वो खड़े थे , वहां द्वार पर विशानाथ मंदिर जाने का रास्ता लिखा था . बनारसी रंग के बारे में खूब पढ़ा -सुना , लेकिन देख पहली बार रहे थे . खैर उस पतली सी गली में हम आगे बढे ....गली संकरी ही रही , अब भैंस और भी तंग गली में चली ! हम दोनों को ऐसा लगा कहीं पुलिस वाले ने हमें बेबकूफ तो नही बनाया . हमने भैंस वाला रास्ता न पकड़ चौड़ी गली वाला रास्ता पकड़ा . थोड़ी देर बाद हम एक होटल पहुचे , जहाँ बालकनी से गंगा जी दर्शन हो रहे थे ! कई विदेशी सैलानी वहां बैठे थे .
हम वापिस लौटे !
फिर गली के एक दुकानदार से मंदिर का रास्ता पूछा तो उसने बताया ,की आप मंदिर से आगे आ गये है , उसने एक पतली गली की और इशारा करते हुए बताया , इस गली से चले जाइये मंदिर पहुच जायेंगे . हम पतली गली से आगे बढ़ रहे थे , की सामने से वही भैंस आ रही थी ,भैंस माता को नमन कर हम मंदिर तक पहुच ही गये ! बाबा विश्वनाथ जी का मंदिर बहुत संकरी गली में है . मगर सुरक्षा बहुत दुरुस्त है .
तो इस तरह तरह हो पाए विश्वनाथ जी के दर्शन !
फिर गली के एक दुकानदार से मंदिर का रास्ता पूछा तो उसने बताया ,की आप मंदिर से आगे आ गये है , उसने एक पतली गली की और इशारा करते हुए बताया , इस गली से चले जाइये मंदिर पहुच जायेंगे . हम पतली गली से आगे बढ़ रहे थे , की सामने से वही भैंस आ रही थी ,भैंस माता को नमन कर हम मंदिर तक पहुच ही गये ! बाबा विश्वनाथ जी का मंदिर बहुत संकरी गली में है . मगर सुरक्षा बहुत दुरुस्त है .
:-)
जवाब देंहटाएंप्रभु जाने किस किस रूप में राह दिखाते हैं!!!!
अनु
बाबा इसी रूप में आ गए दर्शन करवाने ... अच्छा संस्मरण ...
जवाब देंहटाएंभगवान भक्त को किसी न किसी तरह से सही राह दिखा ही देते हैं।
जवाब देंहटाएंजय हो भैंस मैया की ... और जय हो बाबा विश्वनाथ की !
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - यह अंदर की बात है ... ब्लॉग बुलेटिन
KANN KANN SANKAR H BRO
जवाब देंहटाएंरोचक यात्रा संस्मरण
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