आज पर्यावरण दिवस पे फिर से कुछ ढोंग किया जाये
ताकि अपनी भी तस्वीर कल अखबारों में आ जाये
प्लास्टिक के फ्लेक्स पर छपवायें , सुन्दर पोस्टर
पौधे लगाये उन्ही गमलो में , जिन्हें भूले थे पिछली बार रोपकर
इतनी गर्मी हो रही है , जल्दी से चलाओ ए सी
भले ही कितना बढ़ जाये , दुनिया में सी ऍफ़ सी
काटने दो सारे जंगल, नए शहर बसायेंगे
जानवरों का क्या है , शहर में रहने आ जायेंगे
वैसे भी अब क्या फर्क जानवर और इंसान में
वो रहते हा चिड़ियाघर में और हम रहते मकान में
चलो बहुत हुआ , कुछ तो फोटो खिच जाये
आज पर्यावरण दिवस पे फिर से कुछ ढोंग किया जाये
- मुकेश पाण्डेय "चन्दन "
ताकि अपनी भी तस्वीर कल अखबारों में आ जाये
प्लास्टिक के फ्लेक्स पर छपवायें , सुन्दर पोस्टर
पौधे लगाये उन्ही गमलो में , जिन्हें भूले थे पिछली बार रोपकर
इतनी गर्मी हो रही है , जल्दी से चलाओ ए सी
भले ही कितना बढ़ जाये , दुनिया में सी ऍफ़ सी
काटने दो सारे जंगल, नए शहर बसायेंगे
जानवरों का क्या है , शहर में रहने आ जायेंगे
वैसे भी अब क्या फर्क जानवर और इंसान में
वो रहते हा चिड़ियाघर में और हम रहते मकान में
चलो बहुत हुआ , कुछ तो फोटो खिच जाये
आज पर्यावरण दिवस पे फिर से कुछ ढोंग किया जाये
- मुकेश पाण्डेय "चन्दन "
आपने तो बेनकाब कर दिया..................
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन मुकेश जी
सादर
shukriya anu ji !
हटाएंकुछ तो फोटो खिच जाये
जवाब देंहटाएंआज पर्यावरण दिवस पे फिर से कुछ ढोंग किया जाये
....आपकी यह पर्यावरण के प्रति उद्दात भावनाओं को प्रकट करती है। ....बेहतरीन प्रस्तुति।
पर्यावरण पर .... आपका चिंतन और साहित्य सार्थक है...बहुत ख़ूब सर जी
जवाब देंहटाएंसंजय जी , सार्थक तभी सार्थक हो सकता है , जब उसका समाज पर कोई असर पड़े या परिणाम मिले . पर हम-आप मिल कर इस विषय पर सार्थक शुरआत कर ही सकते है
हटाएंगंभीर समस्या पर सामयिक सटीक सार्थक लेखन...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया चतुर्वेदी जी , लेकिन गंभीर समस्या पर गंभीरता की आवश्यकता है
हटाएंपर्यावरण पर मन मोहक सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति ,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
सादर धन्यवाद !
हटाएंपर्यावरण पर सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति ,,,,,बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद !
हटाएंआइडिया बढ़िया है ... ढोंग ही होता है ... और होता ही क्या है !
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - दुनिया मे रहना है तो ध्यान धरो प्यारे ... ब्लॉग बुलेटिन
शिवम् जी शुक्रिया , मगर सूरत बदलनी होगी , क्योंकि जीवन ही खतरे में पड़ जायेगा
हटाएंकुछ तो किया जाए ... ढोंग ही सही। औद्योगिक विकास के कारण पृथ्वी के जीवन पर दबाव पड़ रहा है। जीवन खतरे में पड़ गया है। सौर प्रणाली में ढ़ेर सारे भौतिक और रासायनिक बदलाव आ रहे हैं। जीवनोपयोगी प्रणालियों में भी परिवर्तन आ रहा है। जीवन की न सिर्फ़ गुणवत्ता नष्ट हो रही है बल्कि जीवन की क्षमता भी प्रभावित हो रही है। जीव-जंतु विलुप्त हो रहे हैं। फसलों की पैदावार घट रही है। जल-संकट गहराता जा रहा है। आज पृथ्वी की पर्यावरण चिन्ता सर्वाधिक महत्वपूर्ण सरोकार और गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि आज हम खुद को बचाने के उपाय ढ़ूंढ़ रहे हैं।
जवाब देंहटाएंमनोज जी , अगर ढोंग करने से कोई हल निकलता हो , तो कोई समस्या नही है . मगर रिओ , क्योटो , कोपेनहेगन , बाली और न जाने कितने सम्मलेन और आयोग के बाद भी ढाक के तीन पात ! हमारे देश में तो ये समस्या और भी गंभीर है. इसके लिए जनता के साथ साथ सरकार को भी जागना होगा !
हटाएंसही कह रहे हैं आप आजकल इंसान और जानवर में वाकई कोई खास फर्क नहीं रह गया है सार्थक एवं सटीक प्रस्तुति ....समय मिले आपको तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद !
हटाएंवाह पाण्डेय जी। सत्य वचन।
जवाब देंहटाएंपांडेय जी इसे whatsapp ग्रुप पर पोस्ट कर रहा हूँ।गुस्सा मत होना😊😊😊
जवाब देंहटाएंसही बात है,पता नहीं रोज कितने पेड़ काट कर आज पर्यावरण दिवस मना रहे है
जवाब देंहटाएंसही बात है,पता नहीं रोज कितने पेड़ काट कर आज पर्यावरण दिवस मना रहे है
जवाब देंहटाएंसार्थक एवं सटीक प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंगजब पांडेय जी (दरोगा बाबू)
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