प्रिय ब्लोगरिया दोस्तों,
अपने रोचक इतिहास श्रंखला के अर्न्तगत आपको गाँधी जी के अन्तिम दिनों की कुछ ऐसी बातो को बताना चाहता हूँ जो सामान्यतः लोगो को नही पता है। गाँधी जी की राष्ट्रिय आन्दोलनों में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की असफलता के बाद भूमिका कम हो गई थी। भले ही आम आदमी के लिए महात्मा जी बहुत बड़े नेता थे , मगर कोंग्रेस के बड़े नेताओ ने उन्हें तवज्जो देना बंद कर दिया था। हाँ वे सार्वजानिक मंचो पर गाँधी जी को आगे रखते थे , क्योंकि लोगो पर उनकी अभी भी मजबूत पकड़ थी। हम कुछ उदाहरणों से इसे समझ सकते है -
१- कांग्रेस के त्रिपुरी सम्मलेन में सुभाष चन्द्र बोस गाँधी जी के समर्थित प्रत्याशी पुत्ताभी सीतारमैया के खिलाफ कांग्रेस के अध्यक्ष पद हेतु खड़े हुए, जबकि वे इससे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष थे।
२- तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड वेवेल ने गाँधी जी को ७५% राजनेता, १०% संत और ५ % चिकित्सक कहा।
३- ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बिस्तान चर्चिल ने दूसरे विश्व युद्ध के समय कहा की हम जब सारे विश्व में जीत रहे है तब एक बूढे के सामने हार नही मान सकते है ।
४- शिमला समझौते (1945) के समय गवर्नर जनरल ने भारत के सभी प्रमुख नेताओ को बुलाया मगर गाँधी जी के शिमला में रहते हुए भी नही बुलाया गया। जो उनकी तत्कालीन प्रभाव को दर्शाता है ।
५- हिंद-पाक विभाजन को रोकने के लिए जब गाँधी जी जिन्ना से मिलने गए तो जिन्ना ने कहा की आप किस हैसियत से मुझसे मिलने आए है , आप तो कांग्रस के चवन्निया सदस्य भी नही है ।
६- गाँधी जी जब कांग्रेस के नेताओ से तंग आ गए तो उन्हें मजबूरी में कहना पड़ा की - " मैं देश की बालू से कांग्रेस से भी बड़ा आन्दोलन खड़ा कर सकता हूँ।
७- देश की आज़ादी के समय जब सारा देश जश्न मना रहा था , तो देश का ये अधनंगा फ़कीर नोआखाली में हिंदू-मुस्लिम दंगो को शांत करने के लिए प्रयास कर रहा था।
इस तरह और भी उधाहरण है की देश के लिए अपना सब कुछ लुटा देने वाला यह अहिंसा का पुजारी कांग्रेस के कुछ महत्वकांक्षी नेताओ की महत्वकांक्षा की भेंट चढ़ गया। खैर आज हम अपने देश के एक महान आत्मा को सिर्फ़ १५ अगस्त, २ अक्तूबर और २६ जनवरी को याद कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते है। जबकि जरुरत है हमें उनके सिद्धांतो और जीवनचर्या को अपने जीवन में अपनाने की। आज भी गाँधी उतने ही प्रासंगिक है , जितने तब थे । आइये इस महापुरुष को उसका सही स्थान दिलाये......
मुझे इन्तजार रहेगा आपकी प्रतिक्रियाओ का ...........
आपका अपना ही मुकेश पाण्डेय "चंदन"
विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
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orchha gatha
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अच्छी जानकारी दी है . इसके पहले कभी पढ़ा नहीं था.
जवाब देंहटाएंye jankari atyant rochak aur gyaanwardhak lagee. par ek baat jo gaur karne yogya hain ki aaj congress ke raj me gandhi abhi bhi prasangik hain.
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