गुरुवार, 16 जुलाई 2009

ब्लोगिंग आख़िर एक फुरसतिया काम है !!.......जवाब दो

ब्लोस्कर दोस्तों,
मेरे एक मित्र है ,जो इंटरनेट के भी अच्छे जान कार है । बहुत दिनों बाद उनसे मुलाकात हुई तो हाल चाल जानने की ओपचारिकता के बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि भाई आजकल क्या चल रहा है ? मैंने भी ये जानते हुए कि वो इंटरनेट के जानकार है , इसलिए कहा कि आजकल ब्लोगिंग कर रहे है। लेकिन ये क्या ब्लोगिंग की सुनकर वो उल्टे मुझ पर भड़क उठे ! अरे ब्लोगिंग तो उन लोगो का काम है जिन्हें कोई काम नही होता,और उन्हें छपत की बिमारी होती है । मैंने कहा ऐसी बात नही है, आजकल ब्लोगिंग में बहुत अच्छा साहित्य और पत्रकारिता लिखी जा रही है । फ़िर जनाब जरा ऊँचे स्वर में बोले- अरे छोडो ये ब्लोगिंग वाले क्या जाने साहित्य लिखना और पत्रकारिता करना । जिनकी रचनाये किसी पत्र-पत्रिका में नही छपी तो वो ब्लॉग पर अपनी रचना पोस्ट कर साहित्यकार हो गया, जिन्हें किसी सनचार पत्र या न्यूज़ चेनल वालो ने किसी काम का नही समझा वो ब्लॉग पर पत्रकार बन गया। मैं खूब समझता हूँ इन ब्लोगेर्स को दो चार लेने लिख कर अपने आप को जाने क्या समझते है । एक तो इन्हे पढता ही कौन है ? सरे ब्लोगेर्स एक-दुसरे की रचनाओ पर झूठी टिप्पणिया देते है , वो इसलिए ताकि ताकि कोई उनके ब्लॉग पर आकर अपनी तारीफ के जवाब में एक अच्छी सी टिप्पणी कर जाए। बस सरे फुर्सतियो की फौज है ब्लोगिंग । हुंह कोई काम नही तो ब्लोगेर बन जाओ । तुम भी किस चक्कर में पड़े हो , अपने काम में मन लगाओ ।
रही बात तुम्हारी कविताओ और अभिव्यक्ति की तो छोडो भी , क्या रखा है हिन्दी साहित्य में ?
प्रेमचंद भी भूख से मर गए ! क्या दिया उन्हें हमने जिन्दा रहते हुए ? जिन्दगी मर दूसरो की पीड़ा लिखते रहे पर कभी उनकी पीड़ा को कोई समझा ?
लिखना है तो dear english में likho कहाँ हिन्दी के चक्कर में हो एक पैसे का munafa नही होने wala ।
चूँकि we मुझसे umra में बड़े थे , इसलिए उनसे कुछ नही कह paya पर मन में बहुत baicheni हो रही थी । सोचा aapse ही अपनी पीड़ा bant loo !

4 टिप्‍पणियां:

  1. "लिखना है तो dear english में likho कहाँ हिन्दी के चक्कर में हो एक पैसे का munafa नही होने wala ।
    चूँकि we मुझसे umra में बड़े थे , इसलिए उनसे कुछ नही कह paya पर मन में बहुत baicheni हो रही थी । सोचा aapse ही अपनी पीड़ा bant loo !"


    कहीं ऐसा तो नहीं कि उनके कहने से ही आपने हिंदी और अंग्रेजी, दोनों मिलाकर लिख दिया?

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके मित्र तो बहुत समझदार दिखाई देते हैं:)

    जवाब देंहटाएं
  3. लगे हाथ अंग्रेजी पर भी हाथ अजमा कर देख लो, देखो शायद प्रसाद बँट रहा हो. :)

    जवाब देंहटाएं
  4. आप मेरी रचनाओं को अंग्रेजी में बदल कर छाप लो
    शायद दो पैसे का मुनाफा हो जाए
    फिर हम आपस में एक एक पैसा बांट लेंगे

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)

एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...