सोमवार, 13 जुलाई 2009

प्रेम मर रहा है !

आज क्षितिज सा हुआ प्यार
बस भ्रम मिलन का बचा संसार
गगन छू रहा है बसुधा को
पर यथार्थ विरह है सर्वदा को
अब बची कहाँ प्रतीक्षा मिलन की
बस क्षुधा ही क्षुधा है तन की
दूषित हो चुकी है हर भावना
कहाँ है पवित्रता की सम्भावना
नही है यहाँ विरह की वेदना
मर चुकी जहाँ प्रेम की संवेदना
प्रिय की कमी नही है जीवन में
कमी है तो प्रेम की हर मन में
प्रेम मर रहा ही कोई सुने पुकार
बस भ्रम मिलन का बचा संसार
आपका अपना मुकेश पाण्डेय "चंदन "

6 टिप्‍पणियां:

  1. यहाँ जिन्दगी तभी बचेगी अगर बचेगा प्यार।
    नहीं मरा है नहीं मरेगा यह जीवन का सार।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.

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  2. एक आशावादी सोच के लिए सुमन जी बधाई के पात्र है . ऐसी ही लोगो के कारन आज प्यार बचा है .

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  3. प्यार कभी मरता नहीं, हम तुम मरते हैं..

    जवाब देंहटाएं
  4. gustakh ji !प्यार अमर है अमर रहेगा , हम तो आज की पीढी की बात कह रहे थे. आज भी कई सच्चे प्रेमी है .

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  5. बस भ्रम मिलन का बचा संसार
    bahut khoob

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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