शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

समलैंगिगता की भयावहता और भविष्य

सभी बुद्धिजीवियो को जय राम जी ,
अरे भाई जब से दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिगता पर अपना निर्णय क्या दिया पुरे देश में हल्ला हो गया , सरे न्यूज़ चैनल , अख़बार बस इसी को लेकर बहस जरी किए है । मुस्लिम संगठनो ने इसे इस्लाम विरोधी बताया तो संघ परिवार इसे भारतीय परम्पर के खिलाफ घोषित कर रहा है । बाबा राम देव भी इसके खिलाफ मोर्चा खोले बैठे है । अब तो सुप्रीम कोर्ट में भी इसके खिलाफ याचिका दायर हो गई है। अब जब चारो तरफ़ इसी का बोल बाला है तो मैंने सोचा क्यों न मैं भी अपनी तुच्छ बुद्धि से कुछ विचार प्रगट करू ।
समलैंगिगता कुछ मानसिक रूप से विकृत लोगो का शौक है। कुछ लोग कहते है कि समलैंगिग लोग जन्मजात ही होते है इसलिए इसे मान्यता देनी चाहिए । मेरे ख्याल से ये प्रक्रिया कुदरती तो बिल्कुल नही है , क्योंकि प्रकृति ने ऐसी कोई व्यवस्था नही की। और तो और जानवर भी इस तरह का व्यवहार नही करते यानि समलैंगिक लोग जानवरों से भी गए गुजरे है ! खैर कुछ लोग ऐसा चाहते है , इसलिए उसे कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए ये कोई तर्क नही है , क्योंकि कुछ लोग तो अपराध और आतंकवाद भी फैलाना चाहते है , तो क्या उन्हें भी कानूनी मान्यता दे दी जानी चाहिए ?
अब जनाब ! सोचिये अगर भविष्य में संलैंगिगता को कानूनी मान्यता मिल गई तो कैसे कैसे नज़ारे होंगे ।
१.एक पिता बड़ी मुश्किल से पैसे जुटा के अपने एकलौते बेटे को पढने किसी बड़े शहर भेजता है। जब बेटा पढ़ाई पुरी कर के वापस लौटता है तो उसके साथ एक लड़का भी आता है , तो पिता पूछता है - बेटा ये तुम्हारा दोस्त है क्या ?
बेटा- नही पिताजी ये आपकी बहू है। मैंने और इसने शादी कर ली है !

२.एक पिता अपनी एकलौती लड़की की शादी के कई सपने संजोये बैठा है। उसने कई जगह रिश्ते तलासने शुरू कर दिए है । एक जगह बात पक्की होती है । अब लड़के वाले लड़की देखने आते है। लड़की ने शादी से इनकार करदिया ! कारन पूछने पर बताया की वो अपनी एक सहेली को प्यार करती है , और उसी से शादी करेगी !!

३.एक आदमी की पत्नी अपने पति से तलाक लेना चाहती है। जब वकील ने तलाक लेने का कारन पूछा तो उसने बताया की उसके पति को उसमे कोई दिलचस्पी नही है , क्योंकि वो समलैंगिक है !

४.लड़कियों को नै परशानी शुरू हो गई , अब उन्हें लड़के न तो देखते है और न ही छेड़ते है ,क्योंकि अब उन्हें अपने पुरूष दोस्तों से ही अपनी इच्छा की पूर्ति हो रही है । हाँ कुछ लड़को ने जरुर अपने पुरूष दोस्तों को आकर्षित करने के लिए सजना संवरना शौर कर दिया है !

५.केन्द्र सरकार सन २०२१ की जनगणना के नतीजो से चिंतित है। क्योंकि देश की आबादी अब बढ़ने की वजाय घट रही है ! देश में परिवार नामक सामाजिक संस्था अब धीरे धीरे लुप्त हो रही है। देश में समलैंगिको की बढती आबादी देश की आबादी घटने की सबसे बड़ा कारन है ।

ये मेरे अपने विचार है , आपका इनसे सहमत होना बिल्कुल जरुरी नही है । मगर अपने विचार भी जरुर प्रस्तुत करे ........आपका ही मुकेश पाण्डेय "चंदन"

4 टिप्‍पणियां:

  1. भविष्य के प्रति सचेत करती रोचक प्रस्तुति।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी बिन्दुओं में किसी न किसी की समस्या हल होती दिख रही है. बाप को बच्चों की शादी की चिंता नहीं करना होगी, पति का पत्नी के चरित्र से कोई मतलब नहीं रहेगा (क्योंकि दिलचस्पी ही नहीं रहेगी), छेड़छाड़-बलात्कार रुक जाएंगे, जनसँख्या पर लगाम लगेगी...... मौजा ही मौजा....... फायदा ही फायदा..... लाभ ही लाभ

    जवाब देंहटाएं
  3. bahi benami ji
    aapki soch kuch samajh se pare hai bhai.
    fayda hi fayda nahi ghata hi ghata hai.
    kyoki pariwar nahi rahega to aage manav jati kaise bachegi. jara door ki sochiye khud ke fayde ke sath sath .

    जवाब देंहटाएं
  4. मुकेश पाण्डेय जी जे राम जी की . आपके विचार पड़कर बहुत अच्छा लगा. समलैंगिकता के बारे में आपके विचार बहुत अच्छे हे. में आपसे सहमत हूँ. लेकिन में आपको कुछ बिन्दुओं पर विचार करने को कहता हूँ. क्या आपको नहीं लगता हे की समलैंगिकता से ऐड्स जैसी बीमारीओं से बचा जा सकता हे. क्या आपको नहीं लगता हे की आज बदती हुई जनसँख्या हमारे देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती हे. क्या आपको नहीं लगता की लड़कियों से जबरदस्ती उनका बलात्कार जैसी घटनाये कम हो जाएँगीं. क्या आपको नहीं लगता हे की प्राकृतिक सम्बन्ध तो प्रकृति की घटना हे जिसे न तो हम रोक सकते हे न ही आप रोक सकते हे, मेरे कहने का आशय हे की भले ही समलैंगिकता को कानूनी दर्जा मिल जाये लेकिन प्राकृतिक तो जरुर होगा ही क्योंकि प्रकृति अपने आप को कहीं से भी कैसे भी संतुलित कर लेगी.सच कहूं तो में सम्लेंगिकता के फैएदे नहीं गिना रहा हूँ में तो बस इतना कह रहा हूँ की कानून तो अँधा होता हे फिर हम उसकी चिंता क्यों करें. कानून कुछ भी कहे हम तो सच्चाई जानते हें. तो आज हमें जरुरत हे की हम सबको इस महामारी (समलैंगिकता) की चपेट में नहीं आना हे. तो आओ सब मिलकर ये प्रयास करें की होश में रहकर हमें अपनी संस्कृति और समाज की रक्छा करनी हे. और हाँ आपको बता दूँ की जो बातें मैंने अभी कही थी जिन समस्याओं के समाधान की में बात कर रहा था वास्तव में हम यदि उन समस्याओं का समाधान निकाल सके तो हमें ये वेहूदगी भरी घटनाओं को अपने समाज में होने से रोक सकते हे.
    अपने विचार आपके सामने व्यक्त करके बहुत अच्छा लगा. आपकी प्रितिक्रिया का इंतजार रहेगा.
    धन्यवाद्

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)

एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...