शुक्रवार, 25 मई 2012

मैं एक आम इन्सान हूँ

मैं एक आम इन्सान हूँ 
हर कदम जिन्दगी से परेशान हूँ
मैं जन्म लेता हूँ , गंदे सरकारी अस्पतालों में 
या फिर अँधेरे कमरों, सूखे खेतो या नालो में 
पलता-बढ़ता  हूँ, संकरी-छोटी गलियों में 
खेलता फिरता हूँ, मिटटी-कीचड़ और नालियों में 
ऊँची इमारतों को देखकर , मैं हैरान हूँ 
मैं एक आम इन्सान हूँ 
खंडहर  से सरकारी स्कूलों से की पढाई 
 क्लास बनी मैदान ,साथियों  से होती लडाई   
होश सँभालते ही, शुरू होती काम की तलाश 
आँखों में सपने , होती कर गुजरने की आस 
पर लगता मैं बेरोजगारी की शान हूँ 
मैं एक आम इन्सान हूँ 
जैसे-तैसे मिलती रोजी-रोटी, चलती जीवन की गाड़ी 
हर राह  पर पिसता , इस देश का ये खिलाडी 
 हर विपदा हमारे लिए होती, देखो जिंदगी का खेल 
हर बार हम  होते बर्बाद, करती मौत हमसे मेल 
बाढ़, सुखा, भूकंप, अकाल का मैं बर्बाद हुआ सामान हूँ 
मैं एक आम इन्सान हूँ  
- मुकेश पाण्डेय "चन्दन" 

 

31 टिप्‍पणियां:

  1. आम आदमी कि व्यथा को बखूबी लिखा है ...

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. बाढ़, सुखा, भूकंप, अकाल का मैं बर्बाद हुआ सामान हूँ
    मैं एक आम इन्सान हूँ ... आम इन्सान यही है

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  4. बहुत बढ़िया.......................
    आप इंसान की खासियत!!!!!

    सार्थक रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. एक आम इंसान की व्यथा-कथा को बखूबी अभिव्यक्‍त किया है आपने। बधाई !

      हटाएं
  5. बाढ़, सुखा, भूकंप, अकाल का मैं बर्बाद हुआ सामान हूँ
    मैं एक आम इन्सान हूँ

    सुंदर अभिव्यक्ति,,,,,,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,

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  6. .एक आम इंसान की हकीकत को अच्छा उभारा है....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  7. एक आम आदमी की व्यथा को बहुत मर्मस्पर्शी रूप से उतारा है...बहुत सुन्दर..

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  8. आम इन्सान की पीडा को शब्दों में ढाल दिया आपने । सशक्त रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  9. आम इंसान के जीवन को बखूबी बयां किया है..
    सार्थक रचना....

    जवाब देंहटाएं
  10. आम इंसान की हकीकत को अच्छा उभारा है....मुकेश जी

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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