मैं एक आम इन्सान हूँ
हर कदम जिन्दगी से परेशान हूँ
मैं जन्म लेता हूँ , गंदे सरकारी अस्पतालों में
या फिर अँधेरे कमरों, सूखे खेतो या नालो में
पलता-बढ़ता हूँ, संकरी-छोटी गलियों में
खेलता फिरता हूँ, मिटटी-कीचड़ और नालियों में
ऊँची इमारतों को देखकर , मैं हैरान हूँ
मैं एक आम इन्सान हूँ
खंडहर से सरकारी स्कूलों से की पढाई
क्लास बनी मैदान ,साथियों से होती लडाई
होश सँभालते ही, शुरू होती काम की तलाश
आँखों में सपने , होती कर गुजरने की आस
पर लगता मैं बेरोजगारी की शान हूँ
मैं एक आम इन्सान हूँ
जैसे-तैसे मिलती रोजी-रोटी, चलती जीवन की गाड़ी
हर राह पर पिसता , इस देश का ये खिलाडी
हर विपदा हमारे लिए होती, देखो जिंदगी का खेल
हर बार हम होते बर्बाद, करती मौत हमसे मेल
बाढ़, सुखा, भूकंप, अकाल का मैं बर्बाद हुआ सामान हूँ
मैं एक आम इन्सान हूँ
- मुकेश पाण्डेय "चन्दन"
आम आदमी कि व्यथा को बखूबी लिखा है ...
जवाब देंहटाएंbahut bahut dhanywaad sangita ji !
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जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
हटाएंआभार ||
shukriya !
हटाएंबहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंसादर
dhanwad yashwant ji
हटाएंबाढ़, सुखा, भूकंप, अकाल का मैं बर्बाद हुआ सामान हूँ
जवाब देंहटाएंमैं एक आम इन्सान हूँ ... आम इन्सान यही है
aam insan hona hi is desh me gunah hai rashmi ji , aabhar !
हटाएंबहुत बढ़िया.......................
जवाब देंहटाएंआप इंसान की खासियत!!!!!
सार्थक रचना
shukriya expression ji
हटाएंएक आम इंसान की व्यथा-कथा को बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने। बधाई !
हटाएंbahut khub bahut khub
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंshukriya abhishek bhai
हटाएंबाढ़, सुखा, भूकंप, अकाल का मैं बर्बाद हुआ सामान हूँ
जवाब देंहटाएंमैं एक आम इन्सान हूँ
सुंदर अभिव्यक्ति,,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
Beautifully expressed the grievances of common lot.
जवाब देंहटाएंthank you very much !
हटाएं.एक आम इंसान की हकीकत को अच्छा उभारा है....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंshukriya yashwant ji aur maheshwari ji !
जवाब देंहटाएंदेखिये इतना संघर्ष करने के बाद ... 'आम आदमी' कब तक आम बना रहता है ... एक न एक दिन तो वो खास बनेगा ... जरूर बनेगा !
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ की सलाह याद रखना या फिर यह ब्लॉग बुलेटिन पढ़ लेना
shukriya shivam ji !
हटाएंएक आम आदमी की व्यथा को बहुत मर्मस्पर्शी रूप से उतारा है...बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंbahut shukriya kailash ji
हटाएंआम इन्सान की पीडा को शब्दों में ढाल दिया आपने । सशक्त रचना ।
जवाब देंहटाएंkash aam insan ki pida ko door kar pata main
हटाएंto apna jivan kuchh safal pata main !
shukriya asha ji
ji dhanyawad onkar ji
जवाब देंहटाएंआम इंसान के जीवन को बखूबी बयां किया है..
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना....
shukriya reena ji
हटाएं101….सुपर फ़ास्ट महाबुलेटिन एक्सप्रेस ..राईट टाईम पर आ रही है
जवाब देंहटाएंएक डिब्बा आपका भी है देख सकते हैं इस टिप्पणी को क्लिक करें
आम इंसान की हकीकत को अच्छा उभारा है....मुकेश जी
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