कहते है कि भगवान से भी बढ़कर होती है माँ
जिन्दगी की पहली डगर होती है माँ
सबसे पहले मैंने, तुम्हारी आँखों से देखा था
जब तुम बनी मेरी पहली नज़र माँ
जब मैं रोते-रोते, इस दुनिया में आया
तो पहली हंसी में था, तुम्हारा असर माँ
जब मैं रात को करता बिस्तर गीला
तुमने गुजारी कई रातें जागकर माँ
जब मैं घुटनों के बल चलता था
तुमने चलना सिखाया, हाथ थामकर माँ
आज मुझे तुम्हारी जरुरत है माँ
आ जाओ , अपने साथ बचपन बांधकर माँ
मित्रो , माँ के विषय में बात करते समय समय मैं अक्सर भावुक हो , जाता हूँ , क्योंकि साढ़े चार साल की उम्र से ही मैं अपनी नानी के पास रहने लगा था। हालाँकि नानी ने माँ की कमी को पूरा करने की पूरी या कहे उससे ज्यादा प्यार दिया . मगर माँ तो माँ होती है . साल भर में जब माँ आती तो ये कमी ये कमी दूर होती . आज भी जब माँ आती है ,तो मैं अपना बचपना जीना चाहता हूँ , और माँ के सामने एक छोटा सा बच्चा बन जाता हूँ . माँ आज भी कहती है , कि तुम सबसे बड़े नही सबसे छोटे बच्चे हो . माँ के सामने तो ताउम्र बच्चा ही रहना चाहता हूँ , . उम्र कितनी भी बढती जाये ! इस " मदर्स डे " पर माँ के लिए एक छोटी सी श्रद्धांजलि ...........................
दुनिया में किसी भी देश में लोग चाहे जैसे हो मगर माँ एक सी होती है . सभी माँ को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि
आज मुझे तुम्हारी जरुरत है माँ
जवाब देंहटाएंआ जाओ , अपने साथ बचपन बांधकर माँ
खुबशुरत भाव अभिव्यक्ति ,....
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
shukriya dheerendra ji
हटाएंमाँ ...... संजीवनी महाग्रंथ
जवाब देंहटाएंsahi kaha rashmi ji
हटाएंमाँ की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता ... मन के भावों को खूबसूरती से लिखा है
जवाब देंहटाएंसुन्दर ।।
जवाब देंहटाएंसादर नमन ।
जय माँ ।।
माँ' जिसकी कोई परिभाषा नहीं,
जवाब देंहटाएंजिसकी कोई सीमा नहीं,
जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है
जो मेरे दुख से दुखी हो जाती है
और मेरी खुशी को अपना सबसे बड़ा सुख समझती है
जिसकी छाया में मैं अपने आप को महफूज़
समझती हूँ, जो मेरा आदर्श है
जिसकी ममता और प्यार भरा आँचल मुझे
दुनिया से सामना करने की शक्ति देता है
जो साया बनकर हर कदम पर
मेरा साथ देती है
चोट मुझे लगती है तो दर्द उसे होता है
मेरी हर परीक्षा जैसे
उसकी अपनी परीक्षा होती है
माँ एक पल के लिए भी दूर होती है तो जैसे
कहीं कोई अधूरापन सा लगता है
हर पल एक सदी जैसा महसूस होता है
वाकई माँ का कोई विस्तार नहीं
मेरे लिए माँ से बढ़कर कुछ नहीं।
वाकई माँ का कोई विस्तार नहीं
हटाएंमेरे लिए माँ से बढ़कर कुछ नहीं।
bahut khoob abhishek ji
मां के लिए दिल से प्रकट आपके उद्गार भावुक कर गए। दुनिया की हर मां को नमन!
जवाब देंहटाएंshukriya manoj ji
हटाएंमां है तो हम हैं , सारी सृष्टि है
जवाब देंहटाएंमाँ को शत- शत नमन ……सुन्दर प्रस्तुति।
dhanyavaad sanjay ji
हटाएंमाँ तो बस माँ होती है..माँ शब्द में सारा संसार समाया हुआ है...माँ को नमन..सुन्दर पोस्ट..आभार..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपके मनोभावों को पूरी तरह से समझ सकती हूँ...........................
जवाब देंहटाएंबस एक माँ ही होती है जिनका कोई विकल्प नहीं.....
बहुत भावभीनी रचना.
अनु
shukriya anu ji
हटाएंvery emotional creation..
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा विचार हैं। चंदन की खुशबू, मन मोहे जाय
जवाब देंहटाएंDHANYWAD KULAWANT JI
हटाएंजब मैं रात को करता बिस्तर गीला
जवाब देंहटाएंतुमने गुजारी कई रातें जागकर माँ ..
बस एक माँ ही है जो ऐसा कर सकती है ... सच्चे उदगार हैं माँ के लिए ...
shukriya digambar ji
हटाएंसच कहा माँ कहीं भी हो माँ ही होती है.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना.
shukriya !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंdhanywaad chatuvedi ji !
हटाएंशुक्रिया मुकेश जी ...
जवाब देंहटाएंवयस्तता के कारण किसी के ब्लॉग पर नहीं जा पा रही हूँ ...
सम्भवता आप पहली बार आये मेरे ब्लॉग पे ..आना फ़र्ज़ था ....
माँ को आदर देने के लिए आभार .....
माँ के प्रति ये आदर बना रहे यही दुआ है ....
माँ सारी सृष्टि है...सुन्दर भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंमां की परिक्रमा ये मन ताउम्र करता रहता है ... फिर भी मां को ढूंढता रहता है...भावमय प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंshukriya sada !
हटाएंबहुत भावपूर्ण पोस्ट माँ की याद में आँखे नम हो गई धन्य है वो हर माँ जिसके बेटे के विचार तुम जैसे हों ...शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंbahut bahut aabhar !
हटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंवाकई माँ से बढ़कर कुछ नहीं।
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