जब भी तनहा रहता हूँ , तो जीवन के बारे में सोचता हूँ . थोडा सा अध्यात्मिक सा होने लगता हूँ . सोच जन्म-मरण से भी आगे जाने लगती है . कभी भाग्य पर चिंतन होता है , तो कभी कर्म पर , कभी जीवन के औचित्य पर ही मन खुद से सवाल करने लगता है . कभी जवाब मिलते है तो कभी नही भी .....इसी उधेड़ बुन में लगा था, कि ये कुछ पंक्तियाँ उत्पन्न हुई .....
सत्यमेव जयते !
हम हरदम ये कहते
पर आखिर क्या है सत्य ?
रहता जो शाश्वत
ये जीवन, ये धरा
ये ब्रम्हांड, ये परा
सब तो है नश्वर
बस सत्य है ईश्वर
लौकिक सत्य के पीछे क्यों भागें
जब सब मिथ्या है , उसके आगे
बस सत्य सनातन !!
क्या प्राचीन, क्या अधुनातन ?
जन्म-मृत्यु आनी जानी है
हम तुम बस झूठी कहानी है
जीवन का क्या औचित्य है
राम नाम ही सत्य है !
सत्यमेव जयते !
हम हरदम ये कहते
पर आखिर क्या है सत्य ?
रहता जो शाश्वत
ये जीवन, ये धरा
ये ब्रम्हांड, ये परा
सब तो है नश्वर
बस सत्य है ईश्वर
लौकिक सत्य के पीछे क्यों भागें
जब सब मिथ्या है , उसके आगे
बस सत्य सनातन !!
क्या प्राचीन, क्या अधुनातन ?
जन्म-मृत्यु आनी जानी है
हम तुम बस झूठी कहानी है
जीवन का क्या औचित्य है
राम नाम ही सत्य है !
क्या है सत्य .... आज भी तलाश है
जवाब देंहटाएंराम नाम ही सत्य है !.... यह तो सत्य है , पर हम जिस samay इस सत्य की पुनरावृति करते हैं ... क्या वह सत्य है ?
rashmi ji isi uha poh me to saty samajh nhi aata hai .
जवाब देंहटाएंजन्म-मृत्यु आनी जानी है
जवाब देंहटाएंहम तुम बस झूठी कहानी है
जीवन का क्या औचित्य है
राम नाम ही सत्य है !.....
जीवन का यही सत्य है ...
sarthak...sach...shashwat..
जवाब देंहटाएंजीवन का सार तत्व " राम नाम सत्य है " ....
जवाब देंहटाएंaap sabhi ka bahut bahut shukriya
जवाब देंहटाएंवाह....................
जवाब देंहटाएंअद्भुत................
सार्थक कविता के लिए आपको बधाई.
अनु
सब कों पता होता है सत्य का ... पर भी नहीं पता होता ..
जवाब देंहटाएंयही तो विडम्बना है ...