
हर गुजरती रात में ख्वाबो में तुम आते हो
और हर ख्वाब में दिल में आग तुम लगाते हो
आखिर क्या खता की हमने जो हमें ये सिला मिला
दिन-ब-दिन क्यों मुझ पर इतने सितम ढाते हो
पल दो पल के लिए मिलती है कुछ खुशियाँ
क्यों दो पल का एक अहसास तुम जागते हो
ये मुस्कुराहते कभी हो पायेगी हकीकत
या सिर्फ ख्वाबो में ही तुम मुस्कुराते हो
वो ख्वाबो की तुम्हारी हसीं अदाएं
आखिर क्यों दिल में एक आरज़ू तुम जगाते हो
है उस हसीं पल का इंतज़ार, जब होगी मुलाकात
या फिर सिर्फ ख्वाबो के ' चन्दन' महकाते हो
bahut achchha hai.g
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन !!!!
जवाब देंहटाएंक्या बात पाण्डेजी 👌
जवाब देंहटाएंक्यों अक्सर तुम ख्वाब में सताते हो
कुछ पल आकर नजदीक भी बिताते हो
फिर कुछ भ्रम सा देकर
मिलो दूर आखो से ओझल हो जाते हो ।